पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय,रचनाएं | Shriram Sharma biography in Hindi |


 पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय,रचनाएं | Shriram Sharma biography in Hindi |

नाम: पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

उपनाम: गुरुदेव, युगऋषि, वेदमूर्ति, गुरूजी

जन्म: 20 सितम्बर 1911ई.

स्थान: आंवलखेड़ा,आगरा,U.p

मृत्यु: 2 जून 1990 ई.

स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड

पिता: पं.श्री रूपकिशोर शर्मा

माता: दानकुंवारी देवी

पत्नी: भगवती देवी

गुरु: श्री सर्वेश्वरानंद जी महाराज

शिक्षा: अध्यात्म व वैदिक शिक्षा,

व्यवसाय: अध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक

प्रमुख संस्था: अखिल विश्व गायत्री परिवार

आंदोलन: युग निर्माण योजना

प्रसिद्धि: अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक व संरक्षक, साहित्य युग: शुक्ल द्वितीय युग

शैली: वर्णनात्मक, विवेचनात्मक, आत्मकथात्मक, 

रचनाएं: गायत्री और यज्ञ, शिकार साहित्य, परिवार निर्माण, प्राणों का सौदा, जंगल के जीव,बाल निर्माण,सतयुग की वापसी, आदि

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एक संक्षिप्त परिचय

पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय। 

श्रीराम शर्मा का जन्म 20 सितम्बर 1911 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के आँवलखेड़ा गांव में हुआ था। और 2 जून 1990 को हरिद्वार मे इनकी मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु तिथि के अवसर पर गायत्री जयंती और महानिर्वाण दिवस एक साथ मनाया जाता है। वे सर्वेश्वरानंद जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे

इनके पिताजी का नाम पंडित श्री रूपकिशोर शर्मा था। और माता का नाम दानकुंवारी देवी था। वे एक धार्मिक महिला थी। उनकी पत्नी का नाम भगवती देवी शर्मा था।

पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने उन्हें काशी में “गायत्री मंत्र” की शिक्षा दी। पंडित मदन मोहन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं। पंडित श्री राम शर्मा नर सेवा को ही नारायण सेवा मानते थे। वे जात पात में विश्वास नहीं रखते थे। वे कुष्ठ रोगियों की भी सेवा करते थे।

पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होंने अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी व दृष्टा का समन्वित रूप था। 

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एक भारतीय लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की जिसके दुनिया भर में 150 मिलियन सदस्य और 5000 केंद्र और देव संस्कृति विश्वविद्यालय हैं। उन्होंने गायत्री मंत्र के महत्व की प्रशंसा की।

वह तीन हजार चार सौ से अधिक पुस्तिकाओं के लेखक हैं। वह संपूर्ण वैदिक शास्त्र वेद, पुराण, उपनिषद के व्याख्याता हैं। वह वैज्ञानिक अध्यात्म के अग्रदूत हैं।

1994 में श्रीराम शर्मा के उत्तराधिकारी के रूप में इनके दामाद डाक्टर प्रणव पंड्या ने संस्था की कमान संभाली और 2002 में डॉक्टर पंड्या ने शांतिकुंज को नई दिशा देने के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस विश्वविद्यालय में वैदिक संस्कृति से जुड़े ऋषियों के साथ साथ आधुनिक विषय भी पढ़ाए जाते हैं। 1927 से 1933 तक उनका समय एक सक्रिय कार्यकर्ता स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बीता था। जिसमें युवाओं के विरोध के अकेले पैदल यात्री पथ पार कर वे आगरा के उस शिविर में पहुंचे। जहां प्रशिक्षण दिया जा रहा था। अनेकानेक मित्र सखाओं मार्गदर्शकों के साथ पूरा हो गया काम करते रहे और समय पर जेल भी गये।

छह छह माह की इन्हें कई बार जेल हुई।

स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान कुछ उग्र दौर भी आये। जिनमें शहीद भगत सिंह को फाँसी दिये जाने पर फैले जनआक्रोश के समय श्री अरविन्द के किशोर काल की क्रान्तिकारी स्थिति की तरह उनने भी वे कार्य किये। 

पण्डित श्रीराम शर्मा ने लगभग 3200 ग्रथों की रचना की जिसमें चारों वेदों का सरल भाष्य, उपनिषद सहित अनेक सद्ग्रन्थ शामिल हैं।

उनकी रचनाएं: अध्यात्म एवं संस्कृति, गायत्री और यज्ञ, विचार क्रांति, परिवार निर्माण, स्वास्थ्य और आयुर्वेद, गायत्री महाविद्या, सतयुग की वापसी, बाल निर्माण, समाज निर्माण,आदि है।


पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन परिचय,रचनाएं | Shriram Sharma biography in Hindi |
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य




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