श्याम नारायण पाण्डेय का जीवन परिचय | Shyam Narayan Pandey ka jeevan parichay | श्याम नारायण पाण्डेय की लघु जीवनी हिंदी में |


श्याम नारायण पाण्डेय का जीवन परिचय | Shyam Narayan Pandey ka jeevan parichay | श्याम नारायण पाण्डेय की लघु जीवनी हिंदी में | 

नाम: श्याम नारायण पांडेय

जन्म: सन् 1907 ई.

मृत्यु: सन् 1991 ई.

स्थान: डुमराँव, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

माता: रानी जयवंत कुंवर

पिता: महाराणा उदय सिंह

प्रसिद्धि: वीर रस के कवि।

भाषा: शुद्धशास्त्रज्ञ खड़ीबोली।

शैली: मुक्तक और प्रबन्ध

पुरस्कार: देव पुरस्कार 

प्रसिद्ध रचनाएँ: हल्दीघाटी, जौहर, तुमुल, रूपान्तर, आरती, जय हनुमान, आदि

रचनाएँ: हल्दीघाटी, जौहर, शिवाजी, तुमुल, रूपान्तर, आरती, जय पराजय, गोरा वध, जय हनुमान, प्रशुराम, राणा ! तू इसकी रक्षा कर, आदि।

साहित्य में स्थान: राष्ट्रकवि के रूप में स्थान प्राप्त है।

श्याम नारायण पाण्डेय का जीवन परिचय |

प्रसिद्ध वीर रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय का जन्म श्रावण कृष्ण पञ्चमी सम्वत् 1964, तदनुसार ईसवी सन् 1907 में ग्राम डुमराँव, जिला मऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह और माता का नाम रानी जयवंत कुंवर था। इनकी आरम्भिक शिक्षा के बाद ये संस्कृत अध्ययन के लिए  काशी चले गये। यहीं रहकर काशी विद्यापीठ से उन्होंने हिन्दी में साहित्याचार्य किया। डुमराँव में अपने घर पर रहते हुए। ईसवी सन् 1991 में उनका मृत्यु हो गया। कवि श्याम नारायण पाण्डेय वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। वह केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस काव्य के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे।

श्याम नारायण पांडे एक भारतीय कवि थे।चित्तौड़ की रानी पद्मिनी के आत्म-बलिदान को दर्शाने वाला लोक शैली में लिखा गया। उनका  महाकाव्य 'जौहर' 1940 से 1950 के दशक में बहुत लोकप्रिय हुआ। श्याम नारायण पाण्डेय जी ने चार उत्कृष्ट महाकाव्य रचे जिनमें  'हल्दीघाटी' और 'जौहर' काव्य सर्वाधिक लोकप्रिय हुए।

हल्दीघाटी में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन और जौहर में चित्तौड की रानी पद्मिनी के आख्यान हैं। हल्दीघाटी  के नाम से विख्यात राजस्थान की इस ऐतिहासिक वीर भूमि के लोकप्रिय नाम पर लिखे गये हल्दीघाटी महाकाव्य पर उनको उस समय का सर्वश्रेष्ठ सम्मान देव पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उनका लिखा हुआ महाकाव्य जौहर भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यह महाकाव्य  चित्तौड की महारानी पद्मिनी के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर लिखा था। श्यामनारायण पाण्डेय की रचनाएँ: हल्दीघाटी, शिवाजी, जौहर, तुमुल, रूपान्तर, आरती, जय हनुमान, राणा ! तू इसकी रक्षा कर, आदि

 

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