गुरु बालकदास | Raja guru | ka jivan Parichay | Biography of Guru Balakdas |


 गुरु बालक दास का जीवन परिचय ।

गुरु बालक दास महान क्रांतिकारी, समाज सुधारक , युग पुरुष और मानवाधिकार के लिए सतनामी आंदोलन के प्रणेता व सतनाम धर्म के संस्थापक गुरु घासीदास जी के द्वितीय पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे। 

गुरु बालकदास जी का जन्म 18 अगस्त सन् 1805 ईंस्वी को दक्षिण एशिया मे भारत के मध्यप्रांत के छत्तीसगढ मे स्थित सोनाखान रियासत के गिरौद गांव मे गुरु घासीदास जी और सफूरा माता के पुत्र के रूप मे हुआ। अपनी कम उम्र मे ही इन्होने सन 1820 ईस्वी से चले सतनामी आंदोलन मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए और नेत्रृत्वकारी भूमिका निभाई। इनका सोनाखान के राजा रामराय के पुत्र वीर नारायण सिंह और आदिवासियों से मित्रतापुर्ण संबंध था।

गुरु बालकदास जी का विवाह ढारा नवलपुर (बेमेतरा) के निवासी सुनहरदास चतुर्वेदी की सुपुत्री नीरा माता के साथ हुआ 

सन 1820 ईस्वी मे सतनामी आंदोलन प्रारंभ हुआ, तो बालकदास जी ने उसमे बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया। उनके महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण गुरु घासीदास जी के बाद सन 1850 मे सतनामियों का प्रमुख गुरु बनाया गया। गुरु बालकदास जी ने नेतृत्व संभालने के बाद आंदोलन को पूर्व की भांति पुरे गति से आगे बढ़ाया।

गुरु बालकदास जी बोड़सरा बाड़ा- बिलासपुर के देखरेख का जिम्मा अपने एक अंगरक्षक को सौंपकर रामत के लिए निकले। कुछ दिनों के बाद औराबांधा मुंगेली मे मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें गुरु बालकदास जी गये। गुरु बालकदास जी 16 मार्च 1860 को रात मे जब विश्राम कर रहे थे। तो दुश्मनों ने योजनाबद्ध तरीके से उनको लक्ष्य बनाकर अचानक प्राणघातक हमला कर दिया। प्रारंभिक अफरातफरी के बाद उनके सूरक्षा दस्ते ने संभलते हुए आक्रमण का मुकाबला किया। हमलावर मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। इस संघर्ष मे गुरु बालकदास जी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सुरक्षा दस्ता उनको भंडारपुर बलौदाबाजार जो सतनामियों का तत्कालिन मुख्यालय था। वहां ले जाना चाहते थे। लेकिन अचानक रास्ता बदलकर नवलपुर ले जाने लगे। रास्ते में कोसा  नामक गांव मे 17 मार्च 1860 ईस्वी को उन्होंने अंतिम सांस लिया। उनके पार्थिव देह को नवलपुर- बेमेतरा मे दफ़न किया गया। बोड़सरा से निकल कर बोड़सरा या भंडारपुर फिर कभी वापस नही आए। इस प्रकार सतनामी आंदोलन के महानायक राजा-गुरु बालकदास जी ने हमारे भूमि संपत्ति और सम्मान का रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

Shorts Biography of Guru Balakdas

नाम: गुरु बालकदास, 

जन्म: 18 अगस्त 1805 ई.

स्थान: छत्तीसगढ़, भारत

मृत्यु: 17 मार्च 1860 ई.

स्थान: कोसा,रायपुर, भारत

पिता: गुरु घासीदास, 

माता: सफूरा माता

पत्नी: नीरा माता, राधा माता

बच्चे: गुरु साहेब दास 

समाधि: संघर्ष स्थल-ओराबाँधा, मुंगेली,

गुरु बालकदास की जयंती: 18 अगस्त

उपाधि: सतनामी आंदोलन के महानायक व प्रमुख सेनापति

गुरु बालकदास
गुरु बालकदास  की छवि



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