बाबा आमटे का जीवन परिचय | Baba Amte shorts Biography in Hindi | बाबा आम्टे की साहित्यिक रचनाएँ

 बाबा आमटे का जीवन परिचय | Baba Amte shorts Biography in Hindi | बाबा आम्टे की साहित्यिक रचनाएँ 

पूरानाम: मुरलीधर देवीदास आमटे

उपनाम: बाबा आमटे

जन्म: 26 दिसंबर 1914 ई.

स्थान: महाराष्ट्र, भारत

मृत्यु: 9 फरवरी, 2008 ई.

स्थान: वड़ोरा, चंद्रपुर

पिता: देवीदास आमटे,

माता: लक्ष्मीबाई आमटे

पत्नी: साधना, बच्चे: प्रकाश आमटे, विकास आमटे

शिक्षा: एम.ए., एल.एल.बी.

विद्यालय: 'क्रिस्चियन मिशन स्कूल' नागपुर, 'नागपुर विश्वविद्यालय'

प्रसिद्धि: सामाजिक कार्यकर्ता

रचनाएं : ज्वाला आणि फुले' (कवितासंग्रह), 'उज्ज्वल उदयसाथी' (काव्य)

पुरस्कार: पद्मश्री 1971, राष्ट्रीय भूषण 1978, पद्म विभूषण 1986, मैग्सेसे पुरस्कार 1988,

आंदोल: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, आनंदवन, भारत जोड़ी, नर्मदा बचाओ आंदोलन

सामाजिकसंस्था: आनंदवन, लोकबिरादरी प्रकल्प (कुष्ठरुग्नांची सेवा)

बाबा आमटे का जीवन परिचय। 


बाबा आमटे का जीवन परिचय। 

विख्यात समाजसेवक बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर 1914 ईस्वी को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगणघाट शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम देवीदास आमटे और उनकी माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था। उनका परिवार धनी था। उनके पिता ब्रिटिश गवर्नमेंट ऑफिसर थे। बचपन में ही मुरलीधर को अपना उपनाम बाबा दिया गया था। इनका पूरा नाम मुरलीधर देवीदास आमटे था। बाबा आम्टे का विवाह भी एक सेवा धर्मी युवती साधना से विचित्र परिस्थितियों में हुआ। बाबा आम्टे को दो संतान प्राप्त हुई प्रकाश आम्टे, एवं विकास आम्टे। बाबा आमटे ने एमए, एलएलबी तक पढ़ाई की। बाबा आमटे की पढ़ाई क्रिश्चियन  मिशन स्कूल नागपुर में हुई। इसके बाद आमटे ने नागपुर विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई की। और कई दिनों तक वकालत भी की थी। बाबा आमटे ने अपने पैतृक शहर में भी वकालत की थी। जो कि काफी सफल रही थी। 

देश की आजादी की लड़ाई में बाबा आमटे अमर शहीद राजगुरु के साथी रहे थे। फिर राजगुरू का साथ छोड़कर गाँधी से मिले और अहिंसा का रास्ता अपनाया। 

मुरलीधर देवीदास आमटे  जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं। भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त आमटे ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीवन संरक्षण तथा  नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख हैं। के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया।

बाबा आम्टे ने आनंदवन' नामक संस्था की स्थापना की। 1951 में 'आनंदवन' की रजिस्ट्री हुई। सरकार से इस कार्य के विस्तार के लिए भूमि मिली। बाबा आम्टे के प्रयत्न से दो अस्पताल बने। विश्वविद्यालय स्थापित हुआ। एक अनाथालय खोला गया, नेत्रहीनों के लिए स्कूल बना और तकनीकी शिक्षा की भी व्यवस्था हुई। 'आनंदवन' आश्रम अब पूरी तरह आत्मनिर्भर है।

बाबा आम्‍टे ने राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 1985 में कश्मीर से कन्याकुमारी  तक और 1988 में असम से गुजरात तक दो बार भारत जोड़ो आंदोलन चलाया। नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध निर्माण और इसके फलस्‍वरूप हजारों आदिवासियों के विस्‍थापन का विरोध करने के लिए 1989 में बाबा आम्‍टे ने बांध बनने से डूब जाने वाले क्षेत्र में निजी बल नामक एक छोटा आश्रम बनाया।

बाबा आम्टे को उनके इन महान् कामों के लिए बहुत सारे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। उन्हें मैगसेसे अवॉर्ड, पद्मश्री,  पद्मविभूषण, बिड़ला पुरस्कार, मानवीय हक पुरस्कार, महात्मा गांधी पुरस्कार के साथ साथ और भी कई पुरस्कारों से नवाजा गया। भारत के विख्यात समाजसेवक 9 फ़रवरी 2008 को बाबा का 94 साल की आयु में चन्द्रपुर जिले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया।

बाबा आम्टे की कुछ साहित्यिक रचनाएँ भी हैं। जैसे: 'ज्वाला आणि फुले' नामक काव्यसंग्रह,और 'उज्ज्वल उद्यासाठी' नामक काव्य इत्यादि।

बाबा आमटे का जीवन परिचय | Baba Amte shorts Biography in Hindi | बाबा आम्टे की साहित्यिक रचनाएँ
बाबा आमटे की छवि 




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