आचार्य बाल गंधाधर जांभेकर परिचय | Biography of Bal Gandhadhar Jambhekar |
उपनाम: आचार्य, मराठी समाचार पत्र उद्योग के जनक
नाम: बाल गंधाधर जांभेकर
जन्म्: 6 जनवरी 1812 ई.
स्थान: पोंभुर्ले, महाराष्ट्र
मृत्यु: 17 मई 1846 ई.
स्थान: मुंबई,भारत
पिता: गंगाधर शास्त्री
भाषा: मराठी, संस्कृत, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, तेलुगु,फ़ारसी, फ्रेंच, आदि
पेशा: पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता
👉1812 : बालशास्त्री जम्भेकर का जन्म पोंभुर्ले, कोंकण क्षेत्र, महाराष्ट्र में हुआ था
👉1832: पहला मराठी समाचार पत्र "दर्पण" 6 जनवरी को लॉन्च किया गया था
👉1840: "दर्पण" का अंतिम संस्करण छपा था
👉 1840: पहला मराठी मासिक "दिग्दर्शन " प्रकाशित हुआ था
👉1845: पहला "ज्ञानेश्वरी" छापने वाले व्यक्ति
👉मुंबई एलफ़िस्टन कॉलेज में पहले सहायक प्रोफेसर
आचार्य बाल गंधाधर जांभेकर परिचय | Biography of Bal_Gandhadhar_Jambhekar |
बाल गंधाधर जांभेकर का जीवन परिचय।
मराठी पत्रकारिता के जनक" के रूप में जाने जाने वाले बाल गंधाधर जांभेकर जन्म 6 जनवरी 1812 को महाराष्ट्र राज्य के कोंकण क्षेत्र में देवगढ़ तालुका (सिंधुदुर्ग) के पोंभुर्ले गांव में एक करहड़े ब्राह्मण परिवार में हुआ था। और इनकी मृत्यु 17 मई,1846 में मुंबई हुआ था। इनके पिता का नाम गंगाधर शास्त्री था।
बचपन से ही प्रतिभाशाली और बुद्धिमान जाम्भेकर वयस्क होने पर कई विषयों के महान विद्वान और शोधकर्ता बन गये। वह बहुत ही कम समय के लिए सक्रिय रहे। लेकिन उनके असाधारण कार्य ने भारत पर स्थायी छाप छोड़ी। जाम्भेकर के पिता अच्छे वैदिक थे। जाम्भेकर ने घर पर अपने पिता से मराठी और संस्कृत भाषा का अध्ययन शुरू किया। प्रोफेसर आर्लिबार से उन्होंने गणित शास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया। 1820 में अध्ययन की समाप्ति के बाद वे एल्फिंस्टन कॉलेज में अपने गुरु के सहायक के रूप में गणित के अध्यापक नियुक्त हुए।
1825 में बंबई पहुंचे। मुंबई आने के बाद उन्होंने सदाशिव काशीनाथ उर्फ 'बापू छत्रे' और बापू शास्त्री शुक्ल यंज से क्रमशः अंग्रेजी और संस्कृत सीखना शुरू किया। इन दो विषयों के साथ-साथ उन्होंने गणित और विज्ञान में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। बॉम्बे नेटिव एजुकेशन सोसाइटी के स्कूल में अध्ययन करके, उन्होंने बीस वर्षों के भीतर प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होने के लिए पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया। जो किसी भी भारतीय को कभी नहीं मिला था।
बालशास्त्री को मराठी, संस्कृत, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, तेलुगु , फ़ारसी, भाषा में पढ़ाया जाता था। वह फ्रेंच, लैटिन और ग्रीक जैसी दस भाषाएँ जानते थे । फ्रेंच भाषा में उनकी महारत के लिए उन्हें फ्रांस के राजा द्वारा सम्मानित किया गया था ।
1832 में वे अक्कलकोट के राजकुमार के अंग्रेजी के अध्यापक के रूप में भी रहे। इसी वर्ष भाऊ महाजन के सहयोग से उन्होंने "दर्पण" नामक अंग्रेजी मराठी साप्ताहिक चलाया। इसमें वे अंग्रेजी विभाग में लिखते थे।
1842 से 1844 तक एज्युकेशनल इन्सपेक्टर तथा ट्रेनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में भी रहे। 1840 में "दिग्दर्शन" नाम की एक मासिक पत्रिका भी उन्होंने शुरू की। इसमें वे शास्त्रीय विषयों पर निबंध लिखते थे।
बाल गंगाधर जांभेकर मराठी पत्रकारिता के अग्रदूत थे। उन्होने 'दर्पण' नामक प्रथम मराठी पत्रिका आरम्भ की। उन्होंने इतिहास और गणित से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी तथा जिऑग्राफिकल सोसाइटी में पढ़े गए शिलालेखों तथा ताम्रपत्रों से संबंधित उनके निबंध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शिलालेखों की खोज के सिलसिले में जब वे कनकेश्वर गए थे। वही उन्हें लू लग गई। इसी में उनका देहावसान हुआ। सच्चे अर्थ में उन्होंने अपने कर्म में अपने जीवन का समर्पण किया था। ग्रहण से संबंधित वास्तविकता अपने भाषाणों में प्रकट करने तथा श्रीपती शेषाद्रि नामक ब्राह्मण को ईसाई धर्म से पुन: हिंदूधर्म में लेने के कारण वे जातिबहिष्कृत कर दिए गए थे। महाराष्ट्र के वे समाजसुधारक थे।
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आचार्य बाळशास्त्री जांभेकर |
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