जमनालाल बजाज का जीवन परिचय | Biography of Jamna Lal Bajaj in Hindi

 


जमनालाल बजाज का जीवन परिचय ।

जमनालाल बजाज का जन्म 4 नवम्बर 1889 ईस्वी को जयपुर रियासत के सीकर में '"काशी का बास" में एक गरीब मारवाड़ी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कनीराम और उनकी माता का नाम बिरदीबाई था। वे केवल चौथी कक्षा तक पढ़े थे। इन्हें अंग्रेजी  नहीं आती थी। जमनालाल बजाज वर्धा के एक बड़े सेठ बच्छराज के यहां पांच वर्ष की आयु में गोद लिये गये थे। सेठ वच्छराज सीकर के रहने वाले थे। उनके पूर्वज सवा सौ साल पहले नागपुर में आकर बस गये थे।

बाल विवाह के उस दौर में जमनालाल का विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही नौ वर्ष की जानकी से कर दिया गया। केवल 17 वर्ष की उम्र में कारोबार संभालने वाले जमनालाल ने एक बाद एक कई कंपनियों की स्थापना की थी। जो आगे चलकर  बजाज समूह कहलाया। आज यह भारत  के प्रमुख व्यवसायी घरानों में से एक है।

जमनालाल बजाज भारत के एक उद्योगपति, मानवशास्त्री एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे तथा उनके बहुत करीबी व्यक्ति थे। गांधीजी ने उन्हें अपने पुत्र की तरह माना। आज भी उनके संचालित ट्रस्ट समाजसेवा के कामों में जुटा है। असहयोग आंदोलन के दौरान इन्होंने कांग्रेस को 1लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। तथा मुस्लिम लीग को भी 11000 रुपये दिए गए। युवा जमनालाल के भीतर आध्यात्मिक खोजयात्रा आरम्भ हो चुकी थी और वह किसी सच्चे कर्मयोगी गुरु की तलाश में भटक रहे थे। इस क्रम में पहले वे मदनमोहन मालवीय से मिले। कुछ समय तक वे रबीन्द्रनाथ ठाकुर के साथ भी रहे। अन्य कई साधुओं और धर्मगुरुओं से भी वह जाकर मिले। जमनालाल धीरे धीरे स्वाधीनता आन्दोलन में जुड़ते गए।

जमनालाल ने सामाजिक सुधारों की शुरुआत सबसे पहले अपने घर से ही की।असहयोग आन्दोलन के समय जब विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार शुरू हुआ।

जमनालाल बजाज 1920 में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने थे और इस पद पर वे जीवन भर रहे। उन्होंने वर्धा में ‘सत्याग्रह आश्रम’  की स्थापना की थी। इसके अलावा गौ सेवा संघ, गांधी सेवा संघ, सस्ता साहित्य मण्डल आदि संस्थाआं की स्थापना भी उनके द्वारा की गई। जमनालाल बजाज जाति भेद के विरोधी थे और उन्होंने हरिजन उत्थान के लिए भी प्रयास किया। उनकी याद में सामाजिक क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने के लिये ‘जमनालाल बजाज पुरस्कार’ की स्थापना की गयी है। असहयोग आंदोलन के दौरान इन्होंने अपनी राय बहादुर की उपाधि त्याग दी। जो अंग्रेजों द्वारा दी गई थी। असहयोग आंदोलन के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीखा भाषण देने और सत्याग्रहियों का नेतृत्व करने के लिए 18 जून, 1921 को जमनालाल को गिरफ़्तार कर लिया गया। उन्हें डेढ़ वर्ष के सश्रम कारावास की कठोर सजा और 3000 रुपये का दण्ड भी हुआ।

1927 ईस्वी में बलवंत सांवलाराम देशपांडे के साथ मिलकर इन्होंने अमरसर जयपुर में चरखा संघ की स्थापना की।

 11 फरवरी, 1942 को अकस्मात ही जमनालालजी का देहान्त हो गया। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी जानकीदेवी ने स्वयं को देशसेवा में समर्पित कर दिया। विनोबा के भूदान आन्दोलन में भी वह उनके साथ रहीं। वास्तव में जमनालाल जी ने गांधीजी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को वास्तविक जीवन में जीकर दिखाया।





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नाम: जमनालाल बजाज, 

जन्म: 4 नवम्बर 1889 ई.

स्थान: काशी का वास, सीकर,राजस्थान

मृत्यु: 11 फ़रवरी 1942 ई., 

स्थान: वर्धा, महाराष्ट्र 

पिता: कनीराम, माता: बिरदीबाई

पत्नी: जानकी देवी बजाज

बच्चे: कमलाबाई, कमलनयन, उमा, रामकृष्ण, मदालसा

उपाधि: रायबहादुर

पेशा: समाजसेवक, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी, उद्योगपति

प्रसिद्धि: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, उद्योगपति

विशेष योगदान: जमनालाल बजाज देश के प्रथम नेता थे, जिन्होंने वर्धा में अपने पूर्वजों के 'लक्ष्मीनारायण मंदिर' के द्वार 1928 में ही अछूतों के लिए खोल दिये थे।

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जमनालाल बजाज की जीवनी छवि 




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