पांडुरंग शास्त्री आठवले | दादाजी | जीवन परिचय | Biography of Pandurangshastri Athavale |


 पांडुरंग शास्त्री आठवले | दादाजी | जीवन परिचय | Biography of Pandurangshastri Athavale | 

पांडुरंगशास्त्री आठवले का जीवन परिचय। 

पांडुरंग वैजनाथ आठवले का जन्म 19 अक्टूबर 1920 को भारत के महाराष्ट्र के रोहा गाँव में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता वैजनाथ शास्त्री आठवले संस्कृत के अध्यापक थे। और इनकी माता का नाम पार्वती आठवले था।

और उनकी पत्नी का नाम निर्मला ताई आठवले है। आठवले जब बारह वर्ष के थे। तब उनके पिता ने युवा लड़के के लिए अध्ययन का एक स्वतंत्र पाठ्यक्रम स्थापित किया। इस प्रकार, आठवले को प्राचीन भारत की  तपोवन प्रणाली के समान ही एक प्रणाली में पढ़ाया गया था। 1942 में, उन्होंने श्रीमद्भगवद गीता पाठशाला, माधवबाग, मुंबई में प्रवचन देना शुरू किया।जो 1926 में उनके पिता द्वारा स्थापित केंद्र था। आठवले ने 14 वर्षों की अवधि तक रॉयल एशियाटिक लाइब्रेरी में लगन से पढ़ाई की।

1954 में, उन्होंने जापान में आयोजित द्वितीय विश्व दार्शनिक सम्मेलन में भाग लिया। वहां आठवले ने वैदिक आदर्शों और भगवद गीता की शिक्षाओं की अवधारणा प्रस्तुत की। पांडुरंगशास्त्री आठवले भारतीय कार्यकर्ता, दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरू, क्रांतिकारी, समाज सुधारक तथा तत्त्वचिंतक थे। उनको प्राय: दादाजी के नाम से जाना जाता है जिसका मराठी में अर्थ 'बड़े भाई साहब' होता है। उन्होने सन् 1954 में स्वाध्याय कार्य की शरुआत की और स्वाध्याय परिवार की स्थापना की। स्वाध्याय कार्य श्रीमद्भागवद्गीता पर आधारित आत्म ज्ञान का कार्य है। जो भारत के एक लाख से अधिक गावों में फैला हुआ है। और इसके कोई लाखो सदस्य हैं। अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, ओशिनिया और अन्य एशियाई देशों में पाँच मिलियन अनुयायी हैं। पर अपने प्रवचनों के लिए विख्यातभगवद गीता, वेद और  उपनिषद, दादाजी को उनके निस्वार्थ कार्य और शास्त्रों में शानदार ज्ञान के लिए भी जाना जाता है। दादाजी उपनिषदों, वेद एवम उपनिषद्  पर अपने प्रवचन के लिये प्रसिद्ध है। उन्हें सन् 1997 में धर्म क्षेत्र में विकास के लिए टेम्पल्टन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1999 में उन्हें मेडिकल लीडरशिप के लिए मैगाससे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उसी वर्ष भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया।

आठवले की 83 वर्ष की आयु में 25 अक्टूबर 2003 को मुंबई, भारत में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। 26 अक्टूबर की शाम को ठाणे जिले के तत्त्वज्ञान विद्यापीठ में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद, उनकी अस्थियाँ उज्जैन, पुष्कर, हरिद्वार, कुरूक्षेत्र, गया, जगन्नाथ पुरी और अंत में रामेश्वरम में विसर्जित की गईं । 






पांडुरंगशास्त्री आठवले का जीवन परिचय। 


नाम: पाण्डुरंग शास्त्री अठावले

उपनाम: दादाजी

जन्म: 19अक्टूबर 1920 ई.

स्थान: रोहा, मुम्बई (महाराष्ट्र)

मृत्यु: 25 अक्टूबर,2003 ई.

स्थान: मुम्बई 

पिता: वैजनाथ शास्त्री आठवले

माता: पार्वती आठवले

पत्नी: निर्मला ताई आठवले

बच्चे: जयश्री तलवलकर

प्रसिद्धि: ईश्वरवादी और समाज सुधारक

पेशा: आध्यात्मिक शिक्षक, दार्शनिक, प्रवचनकार

संगठन की स्थापना: स्वाध्याय आंदोलन 1954

पुरस्कार: महात्मा गाँधी पुरस्कार 1988, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 1999, पद्म विभूषण 1999, टेम्पलटन पुरस्कार 1997

👉 1956 में 'तत्व ज्ञान विद्यापीठ' विद्यालय की स्थापना की।

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पांडुरंगशास्त्री आठवले


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