जयानन्द भारती का जीवन परिचय | jayanand bharati ka jivan parichay

 

जयानन्द भारती का जीवन परिचय | jayanand bharati ka jivan parichay

नाम: जयानन्द भारती

अन्यनाम: जयानन्द आर्य "पथिक"

जन्म: 17 अक्टूबर,1881ई.

जन्मस्थान: ग्राम अरकंडाई,पौड़ी 

मृत्यु: सितम्बर,1952 ई.

पिता: छविलाल,

योगदान एवं कार्य: डोला-पालकी आन्दोलन, ऐतिहासिक पौड़ी कांड,

आर्य समाज: 1911 में जुड़ें।

जयानन्द भारती का जीवन परिचय। 

स्वाधीनता संग्रामी, डोला-पालकी और आर्यसमाज आन्दोलन के अग्रणी ‘जयानंद भारती’ का जन्म 17 अक्टूबर,1881 ईस्वी में ग्राम अरकंडाई, पौड़ी जनपद में हुआ था। पिता छविलाल और माता रैबली देवी का परिवार कृषि और पशुपालन के अलावा जागरी के काम से जुड़ा था। जयानन्द भी किशोरावस्था तक इन्हीं पैतृक कार्यों को किया करते थे। बाद में बेहतर रोजगार के लिए नैनीताल, मसूरी, हरिद्वार और देहरादून में रहने लगे। बचपन से ही अंधविश्वासों के प्रति संशय रखने वाले जयानंद सन् 1911 में आर्य समाज विचारधारा से जुडकर उसके प्रचारक बन गए।

जयानन्द भारती भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक चेतना के अग्रदूत थे। उन्होने डोला-पालकी आन्दोलन  चलाया। यह वह आन्दोलन था जिसमें शिल्पकारों के दूल्हे-दुल्हनों को डोला-पालकी में बैठने के अधिकार बहाल कराना था। लगभग 20 वर्षों तक चलने वाले इस आन्दोलन के समाधान के लिए भारती जी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया जिसका निर्णय शिल्पकारों के पक्ष में हुआ। और डोला पालकी प्रथा का अंत हुआ। स्वतन्त्रता संग्राम में भारती जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय विद्यालय  जयहरिखाल की इमारत पर तिरंगा झंडा फहराकर ब्रिटिश शासन के विरोध में भाषण देकर छात्रों को स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए प्रेरित किया। तीन माह के कारावास से रिहा होकर वे फिर इन गतिविधियों में शामिल होते रहे।

तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर मैलकम हेली का पौड़ी दौरा था, यह खबर सुनते ही राम प्रसाद नौटियाल व उनके दल ने यह योजना बनाई की गवर्नर को काले झंडे दिखाए जाएँ व उसका बायकॉट किया जाय. इस काम को अंजाम देने के लिए जयानंद भारती को चुना गया। भारती जी ने गवर्नर के सामने जाकर काला ध्वज लहराया व 'वन्दे मातरम' का घोष किया। ‘गवर्नर गो बैक' के नारे लगाते हुए उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया व इसके लिए उन्हें एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा हुई।

भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण 22 अप्रैल,1943 को भारतीय जी को दो वर्ष का कठोर कारावास हुआ था। बरेली जेल में रहते इस सजा को भारतीय जी ने स्वः अध्ययन में गुजारा था।

देश की आजादी के बाद जयानन्द भारतीय पूर्णतया समाजसेवा के कार्यों को समर्पित हो गये। उनके प्रयासों से कई स्थलों में धर्मषाला, अस्पताल और विद्यालयों की स्थापना हुई थी

उन्होने जीवन के अतिंम समय में अपनी अस्वस्थता को जानते हुए भी पैतृक गांव अरकंड़ाई में कठिनाईयों के साथ रहने का फैसला लिया। 9 सितम्बर,1952 ईस्वी को जयानन्द ‘भारतीय’ जी का देहान्त हो गया।


टिप्पणियाँ

Read more

महान भारतीय वैज्ञानिक सी एन आर राव के पुरस्कार | Indian Scientist CNR Rao Award |

कवि बालकृष्ण राव का जीवन परिचय | Balakrishna Rao ka jeevan parichay | बालकृष्ण राव की जीवनी हिंदी में |

कुंभाराम आर्य का जीवन परिचय | Kumbha Ram Arya ka jeevan parichay | कुंभाराम आर्य की लघु जीवनी हिंदी में |

कुंवर सिंह का जीवन परिचय |  Kunwar Singh ka jeevan parichay | कुंवर सिंह  की लघु जीवनी हिंदी में |