एनी बेसेन्ट का जीवन परिचय | shorts Biography of Annie Besant | डाॅ.एनी बेसेंट की रचनाएँ |
नाम: डॉ. एनी बेसेंट (Annie Besant )
जन्म: 1 अक्टूबर 1847 ई.
स्थान: क्लैहम, लंदन
मृत्युः 20 सितम्बर1933 ई.
स्थान: चेन्नई, भारत
माता: एमिली मॉरिस
पिता: विलियम वुड
पति: रेवेरेंड फ्रैंक बेसेंट
बच्चे: अर्थर, माबेल
शिक्षाः ब्रिकबेक, लंदन विश्व विद्यालय, भाषा: अंग्रेजी
राष्ट्रीयता: ब्रिटिश, आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन,
पार्टी: सोशल डेमोक्रेटिक फेडरेशन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
प्रसिद्धि: लेखिका, समाज सेविका, स्वतंत्रता सेनानी
स्थापित संगठन: भारतीय होम रूल आंदोलन, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय,सेंट्रल हिंदू बॉयज़ स्कूल,सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल
उपलब्धि: 1917 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष, पद: कांग्रेस अध्यक्ष,
रचनाएँ: डेथ ऐण्ड आफ़्टर, इन द आउटर कोर्ट, द सेल्फ ऐण्ड इट्स शीथ्स, आदि।
पुरस्कार: देशवासियों ने उन्हें माँ वसंत कहकर सम्मानित किया तो महात्मा गांधी ने उन्हें वसंत देवी की उपाधि से विभूषित किया।
एनी बेसेन्ट का जीवन परिचय।
भारत की मिट्टी से गहरा लगाव रखने वाली समाजसेवी, लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में लंदन के एक मध्यमवर्गीय परिवार में एनी वुड के रूप में हुआ था। इनके पिता जी का नाम विलियम वुड था। और इनकी माता जी का नाम “एमिली मोरिस” था। जब वह केवल 5 साल की थी तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। और बाद धन के अभाव के कारण उनकी माता उन्हे हैरो ले गई।
हैरो से ही मिस मेरियट के संरक्षण में उन्होने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट उन्हे कम उम्र में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई और उन देशों की भाषा सिखाई। 17 वर्ष की आयु में एनी अपनी माँ के पास वापस आ गईं।
युवावस्था में उनका परिचय एक युवा पादरी से हुआ और 1867 में उसी रेवरेण्ड फ्रैंक से एनी बुड की शादी भी हो गई। 1870 तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं। 1974 में सम्बन्ध विच्छेद हो गया। तलाक के पश्चात् एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर पैसे इकठ्ठे करने पड़े। कानून की सहायता से उनके पति ने दोनों बच्चों को प्राप्त करने में सफल हो गये। इस घटना से एनी बेसंट को गहरा धक्का लगा। जैसा कि एनी ने उसमें लिखा थाआत्मकथा , "हम एक बेमेल जोड़ी थे"। महान् ख्याति प्राप्त पत्रकार विलियन स्टीड के सम्पर्क में आने पर वे लेखन एवं प्रकाशन के कार्य में अधिक रुचि लेने लगीं।
1878 में ही उन्होंने प्रथम बार भारतवर्ष के बारे में अपने विचार प्रकट किये। उनके लेख तथा विचारों ने भारतीयों के मन में उनके प्रति स्नेह उत्पन्न कर दिया।
1883 में वे समाजवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुईं। उन्होंने 'सोसलिस्ट डिफेन्स संगठन' नाम की संस्था बनाई। इस संस्था में उनकी सेवाओं ने उन्हें काफी सम्मान दिया। इनका भारत आगमन 1893 में हुआ। सन् 1906 तक इनका अधिकांश समय वाराणसी में बीता। वे 1907 में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्षा निर्वाचित हुईं।
एनी बेसेन्ट अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं। एनी बेसेंट से प्रेरणा पाकर भारत के कई समाज सेवकों को बल मिला। इन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की।
बेसेन्ट के जीवन का मूलमंत्र था 'कर्म'। वह जिस सिद्धान्त पर विश्वास करतीं उसे अपने जीवन में उतार कर उपदेश देतीं। वे भारत को अपनी मातृभूमि समझती थीं। वे जन्म से आयरिश, विवाह से अंग्रेज तथा भारत को अपना लेने के कारण भारतीय थीं। वे भारत की स्वतंत्रता के नाम पर अपना बलिदान करने को सदैव तत्पर रहती थीं। उन्होंने 1898 में वाराणसी में सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल की स्थापना की। सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह, जाति व्यवस्था, विधवा विवाह, विदेश यात्रा आदि को दूर करने के लिए उन्होंने 'ब्रदर्स ऑफ सर्विस' नामक संस्था का संगठन किया।
देशवासियों ने उन्हें माँ वसंत कहकर सम्मानित किया, तो महात्मा गांधी ने उन्हें वसंत देवी की उपाधि से विभूषित किया।
20 सितम्बर 1933 को एनी बेसेंट का निधन हो गया । इतिहास की इस महान् नायिका की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनकी इच्छाओं के अनुसार भारतीय पद्धति से उनका दाह संस्कार हुआ। उनका अस्थि कलश बनारस लाया गया तथा दशाश्वमेध घाट पर उसका विसर्जन हुआ। इनकी रचनाएँ: डेथ ऐण्ड आफ़्टर, इन द आउटर कोर्ट, द सेल्फ ऐण्ड इट्स शीथ्स, आदि।
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डाॅ.एनी बेसेंट |
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