अजय घोष का जीवन परिचय। Biography of Ajay Kumar Ghosh | भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अजय घोष
अजय घोष का जीवन परिचय। Biography of Ajay Kumar Ghosh |भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अजय घोष
जन्म: 20 फरवरी 1909 ई.
स्थान: बर्धमान, बंगाल,भारत
निधन: 13 जनवरी 1962 ई.
मृत्यु कारणक्षय रोग के कारण
पिता: शचीन्द्र नाथ घोष,
माता: सुधान्शु बाला
शिक्षा: स्नातक
विद्यालय: इलाहाबाद विश्वविद्यालय
पेशा: राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी
प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी
पार्टी: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
प्रमुख संगठन: हिदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन, सीपीआई
पुस्तकें: मार्क्सवाद और भारतीय वास्तविकता: चयनित भाषण और लेखन
जेल यात्रा: अजय घोष सांडर्स की हत्या, केंद्रीय असेम्बली में बम फेंकने के कारण जेल गये।
👉1951 से 1962 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव।
अजय घोष का जीवन परिचय।
अजय कुमार घोष एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता थे। अजय घोष का जन्म 20 फ़रवरी 1909 को बंगाल राज्य के बर्धमान जिले के मिहिजम गाँव में हुआ था। जहां अजय नाम की एक नदी है। उनके बाबा ने उस नदी के नाम पर ही उनका नाम अजय रख दिया था। अजय घोष के पिता का नाम शचीन्द्र नाथ घोष जो कानपुर के प्रतिष्ठित चिकित्सक थे। और माँ का नाम सुधान्शु बाला था। अजय चार भाई और दो बहन थे। अजय घोष की शिक्षा पहले कानपुर फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई। इसने इलाहाबाद से बी.एस.सी पास किया था। वह अभी स्कूल में ही पढ़ रहे थे। उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई। उन्होंने अंग्रेजी सरकार को सशस्त्र क्रान्ति के जरीए उखाड़ फेंकने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन बनाई।
अजय कुमार घोष भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर थे। ये हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकलन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य रहे तथा 1928 में सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु एवं बटुकेश्वर दत्त के साथ कारावास गए एवं लाहौर काण्ड में इन्हें भी अभियुक्त के रूप में सज़ा दी गई। 1933 में इन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी से स्वयं को जोड़ लिया तथा 1951 में इन्हें इसका महासचिव निर्वाचित किया गया। 1934 में इन्हें सीपीआई का केन्द्रीय कमेटी सदस्य और 1936 में पोलितब्यूरो सदस्य निर्वाचित किया गया। 1938 में, घोष पार्टी के मुखपत्र, नेशनल फ्रंट के संपादकीय बोर्ड के सदस्य बने। वह 1951 से 1962 में अपनी मृत्यु तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव थे। वह 1962 में चीन भारत युद्ध के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। वह मध्यमार्गी में प्रमुख व्यक्ति थे। वे पार्टी के प्रमुख पत्र 'दि नेस्शनल फ्रंट' के संपादकीय मंडल में भी थे। और उन्होंने कई पुस्तिकाएं भी लिखीं।
अजय घोष जब 1941 में देवली कैप्म जेल में बंदी थे। तब उन्हें क्षय रोग लग गया। और इसी से 13 जनवरी 1962 को इनकी मृत्यु हो गया।
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