महात्मा बुद्ध या सिद्धार्थ का जीवन परिचय | Biography of Gautama Buddha in Hindi

 


महात्मा बुद्ध या सिद्धार्थ का जीवन परिचय | Biography of Gautama Buddha in Hindi 

अन्यनाम: सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, शाक्यमुनि

नाम: सिद्धार्थ गौतम

जन्म: 563 ईसा पूर्व 

स्थान: लुंबिनी (नेपाल)

मृत्यु: 483 ईसा पूर्व 

आयु: 80 वर्ष 

स्थान: कुशीनगर भारत 

पिता: राजा शुद्धोदन, 

माता: रानी महामाया (महादेवी)

पत्नी: राजकुमारी यशोधरा, 

संतान: राहुल

जयंती: वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा)

स्थापना: बौद्ध धर्म की स्थापना

धर्म: बौद्ध धर्म, जाति: क्षत्रिय (शाक्य )

मूल मंत्र: “बुद्धं शरणं गच्छामि”

शासनराज्य: शाक्य गणराज्य

बुद्ध के पांच सिद्धांत: हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना एवं नशा न करना।

👉बौद्ध धर्म का प्रतीक धर्मचक्र है।

👉भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है।

👉49 दिनों तक ध्यान करने के बाद, बिहार के बोधगया गांव में एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय। 

गौतम बुद्ध एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। बुद्ध को गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, आदि नामों से भी जाना जाता है। गौतम बुद्ध का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। इनका जन्म लुंबिनी में पांच सौ तिरसठ (563) ईसा पूर्व इक्ष्वाकु  वंशीय क्षत्रिय शाक्य  कुल के राजा  शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था। जो कोलीय वंश से थीं। जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हो गया। इनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा  को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।

सिद्धार्थ गौतम जिसे आमतौर पर बुद्ध के रूप में जाना जाता है। एक भटकते हुए तपस्वी और धार्मिक शिक्षक थे जो 6ठी या 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान दक्षिण एशिया में रहते थे। और बौद्ध धर्म की स्थापना की। बुद्ध के धर्म प्रचार से भिक्षुओं की संख्या बढ़ने लगी। बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी उनके शिष्य बनने लगे। भिक्षुओं की संख्या बहुत बढ़ने पर बौद्ध संघ की स्थापना की गई। बाद में लोगों के आग्रह पर बुद्ध ने स्त्रियों को भी संघ में ले लेने के लिए अनुमति दे दी। भगवान बुद्ध ने ‘बहुजन हिताय’ लोककल्याण के लिए अपने धर्म का देश-विदेश में प्रचार करने के लिए भिक्षुओं को इधर-उधर भेजा। अशोक आदि सम्राटों ने भी विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रचार में अपनी अहम्‌ भूमिका निभाई। मौर्यकाल तक आते-आते भारत से निकलकर बौद्ध धर्म चीन,जापान, कोरिया, मंगोलिया,बर्मा,थाईलैंड,हिंद चीन, श्रीलंका आदि में फैल चुका था। इन देशों में बौद्ध धर्म बहुसंख्यक धर्म है।

भगवान बुद्ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया । उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। बुद्ध के उपदेशों का सार इस प्रकार है।1 महात्मा बुद्ध ने सनातन धरम के कुछ संकल्पनाओं का प्रचार किया, जैसे अग्निहोत्र तथा गायत्री मन्त्र 2 ध्यान और अंतरदृष्टि, 3 मध्यमार्ग का अनुसरण, 4 चार आर्य सत्य, 5 अष्टांग मार्ग,

गौतम बुद्ध की मृत्यु चार सौ तिरासी (483) ईसा पूर्व कुशीनगर में हुई थी। उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे 'महापरिनिर्वाण' कहते हैं। लेकिन उनकी मृत्यु के मत में बौद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकार एकमत नहीं हैं।




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