ज्योतिराव फुले | महात्मा फुले | की जीवन परिचय | Biography of Jyotirao Phule in Hindi

 


ज्योतिराव फुले | महात्मा फुले | की जीवन परिचय | Biography of Jyotirao Phule in Hindi 

नाम: ज्योतिराव गोविंदराव फुले

अन्यनाम: महात्मा फुले, ज्योतिबा फुले

जन्म: 11 अप्रैल 1827 ई.पुणे, महाराष्ट्र

मृत्यु: 28 मार्च 1890 ई.महाराष्ट्र

पिता: गोविंदराव फुले, 

माता: चिमणाबाई फुले,

पत्नी: सोनियाबाई फुले,

विद्यालय: स्कॉटिश मिशन हाईस्कूल,

शिक्षा: सातवीं कक्षा, भाषा: मराठी, 

कर्मक्षेत्र: समाजसेवा, दार्शनिक

संगठन की स्थापना: 1873 सत्यशोधक समाज,

रचनाएँ: गुलामगिरी, तृतीया रत्न, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणन्चे कसाब, किसानों की कैफियत, आदि है।

1868 अछूतों के लिए घर के कुएं से पानी खोलना

👉1848 शूद्र-अतिशूद्र बालिकाओं के लिए स्कूल की स्थापना

👉1852 शिक्षा में योगदान के लिए मेजर कैंडी द्वारा सम्मानित

👉1854 स्कोटिश स्कूल में अध्यापक

👉1873 सत्य शोधक समाज की स्थापना 

👉1875 स्वामी दयानंद सरस्वती की शोभा यात्रा 

👉1888 जनता से सम्मानित और महात्मा की उपाधि

ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जीवन परिचय। 

भारतीय समाजसेवक, दार्शनिक महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 ईस्वी में पुणे में हुआ था। इनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविन्दराव था। एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का निधन हो गया। इनका लालन-पालन एक बायी ने किया। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। इसलिए माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा ने कुछ समय पहले तक मराठी में अध्ययन किया। बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की। इनका विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ। जो बाद में स्‍वयं एक प्रसिद्ध समाजसेवी बनीं। दलित व स्‍त्रीशिक्षा के क्षेत्र में दोनों पति-पत्‍नी ने मिलकर काम किया। वह एक कर्मठ और समाजसेवी की भावना रखने वाले व्यक्ति थे।

महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ''जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर 1873 में इन्होने  महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ईस्वी में मुंबई की एक विशाल सभा में इन्हें महात्मा' की उपाधि दी।महिलाओं व पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे। इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं। ज्योतिबा ने 1848 में एक स्कूल खोला। यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था। लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके अपनी पत्नी सावित्री को इस योग्य बना दिया।

ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर,1890 ईस्वी को महान् समाज सेवी का देहांत हो गया था। भारतीय डाक विभाग ने फुले के सम्मान में वर्ष 1977 में एक डाक टिकट जारी किया। फुले के काम ने भारत के पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान की मसौदा समिति के प्रमुख  बीआर अंबेडकर को प्रेरित किया। अम्बेडकर ने फुले को अपने तीन गुरुओं में से एक माना था।

इनकी रचनाएँ: गुलामगिरी, तृतीया रत्न, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणन्चे कसाब, किसानों की कैफियत, आदि है।


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