मदर टेरेसा का जीवन परिचय। Biography of Mother Teresa


 मदर टेरेसा का जीवन परिचय। Biography of Mother Teresa 

नाम: मदर टेरेसा

पूरानाम: आन्येज़े गोंजा बोयाजियू

जन्म: 26 अगस्त 1910 ई.

स्थान: स्कोप्जे, मैसेडोनिया

मृत्यु: 5 सितंबर 1997 ई.

स्थान: कोलकाता, भारत

मृत्यु का कारण: दिल के दौरा

पिता: निकोला बोयाजू 

माता: द्राना बोयाजू

कर्मक्षेत्र: समाजसेवा

कर्म भूमि: भारत

धर्म: रोमन कैथोलिक ईसाई

राष्ट्रीयता: अल्बानियाई, भारतीय, यूगोस्लाविया

स्थापित संगठन: मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी, कालीघाट होम फॉर द डाइंग,

प्रसिद्धि: सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेविका

पुरस्कार: पद्मश्री, नोबेल पुरस्कार 1979, भारत रत्न 1980, मेडल आफ़ फ्रीडम।

👉17 अगस्त 1948 को, उन्होंने पहली बार नीली पट्टी वाली सफेद साड़ी पहनी और गरीबों की दुनिया में प्रवेश की

मदर टेरेसा का जीवन परिचय। 

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मेसीडोनिया ) में हुआ था। इनके माता का नाम द्राना बोयाजू और पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी इनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद इनके लालन पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। यह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। यह एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढ़ाई के साथ साथ, गाना इन्हें बेहद पसंद था। ऐसा माना जाता है कि जब यह मात्र बारह साल की थीं तभी इन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में इन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात यह आयरलैंड गयीं जहाँ इन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं। 1981 में आवेश ने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और उन्होने आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया।

मदर टेरेसा जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च  द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं। सिस्टर टेरेसा आयरलैंड से 6 जनवरी, 1929 को कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट पंहुचीं और अध्यापन का काम किया। वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की सेवा का संकल्प ले लिया। जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए। लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। इन्होंने 1950 में  कोलकाता में  मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। 1970 तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं । 

मदर टेरेसा के जीवन काल में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा। और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थीं। मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिये विविध पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किय गया है। मदर टेरेसा को 1962 में शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय ने उन्हे डोक्टोरेट की उपाधि से विभूषित किया। भारत सरकार द्वारा 1962 में उन्हें 'पद्म श्री' की उपाधि मिली। 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। 1988 में ब्रिटेन द्वारा 'आईर ओफ द ब्रिटिश इम्पायर' की उपाधि प्रदान की गयी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया। 19 दिसम्बर 1979 को मदर टेरेसा को मानव-कल्याण कार्यों के हेतु नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। 2016 को उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा  कलकत्ता की सेंट टेरेसा के रूप में संत घोषित किया गया था। उनकी मृत्यु की सालगिरह 4 सितंबर, उनका पर्व दिवस है।

मदर टेरेसा को दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। 

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