गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय | Guru Nanak Dev biography in Hindi

गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय | Guru Nanak Dev biography in Hindi 

अन्यनाम: गुरु नानक, नानकशाह, बाबा नानक, नानक

नाम: गुरु नानक देव,

जन्म: (संवत् 1526, कार्तिक पूर्णिमा) 15 अप्रैल 1469 ई.

स्थान: तलवंडी ननकाना पाकिस्तान, पुण्यतिथि: कार्तिक पूर्णिमा 

मृत्यु: 22 सितंबर 1539 ई. 

स्थान: करतारपुर, पाकिस्तान 

समाधी: करतारपुर, पाकिस्तान, 

पिता: कल्याण चंद्र (मेहता कालू), 

माता: तृप्ता देवी,

पत्नी: सुलक्खनी देवी, 

बच्चे: श्रीचंद, लक्ष्मीदास 

भाषा: फ़ारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, ब्रजभाषा,

 प्रसिद्धः सिक्खों के प्रथम गुरु, 

धर्म: सिख पंथ की स्थापना 

उत्तराधिकारी: गुरु अंगद देव,

कर्मक्षेत्रः समाज सुधारक कार्य: सिद्धांतवादी, धर्म सुधारक, समाज सुधारक, कवि

 रचनाएँ: गुरु ग्रन्थ साहिब, गुरबाणी, सोहिला, जपुजी,पट्टी, बारह माह, आदि है।

गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय। 

गुरू नानक देव या नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे। ननकाना साहिब का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित  तलवण्डी  नामक गाँव में कार्तिकी पूर्णिमा को एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। तलवण्डी पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त का एक नगर है। कुछ विद्वान इनकी जन्म तिथि 15 अप्रैल,1469 मानते हैं। किन्तु प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा ही है, जो अक्टूबर-नवम्बर में दीवाली के 15 दिन बाद पड़ती है। इनके पिता का नाम मेहता कालूचन्द खत्री ब्राह्मण तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवण्डी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। बचपन से इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। पढ़ने-लिखने में इनका मन नहीं लगा। 7 से 8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्राप्ति के सम्बन्ध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए। तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएँ घटीं जिन्हें देखकर गाँव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे। बचपन के समय से ही इनमें श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गाँव के शासक राय बुलार प्रमुख थे। इनका विवाह बालपन मे सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अन्तर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाले मूला की कन्या सुलक्खनी से हुआ था। नानक सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से सम्बोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबन्धु सभी के गुण समेटे हुए थे। इनका जन्म स्थान गुरुद्वारा ननकाना साहिब पाकिस्तान में और समाधि स्थल करतारपुर साहिब पाकिस्तान में स्थित है। 1521 तक इन्होंने चार यात्रा चक्र पूरे किए।जिनमें  भारत, अफगानिस्तान,फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में "उदासियाँ" कहा जाता है। गुरु नानक की मृत्यु 22 सितंबर, 1539, करतारपुर, पाकिस्तान में हुई। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए।

गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म के सर्वोच्च प्राधिकारी के रूप में पूजा जाता है। और उन्हें सिख धर्म का अंतिम और शाश्वत गुरु माना जाता है। सिख धर्म के पहले गुरु के रूप में, नानक ने पुस्तक में कुल 974 भजनों का योगदान दिया। इनकी रचनाएँ: गुरु ग्रन्थ साहिब, गुरबाणी, सोहिला, जपुजी, पट्टी, बारह माह, आदि है।

नानकदेवजी के सिद्धांत: 1 ईश्वर एक है।

2 सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।

 3 जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।

4 सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।

5 ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।

6 बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएँ।

7 सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता माँगना चाहिए।

8 मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।

9 सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।

10 भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।

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