अनिल काकोदकर का जीवन परिचय | anil kaakodakar ka jeevan parichay
वैज्ञानिक अनिल काकोदकर का जीवन परिचय | anil kaakodakar ka jeevan parichay | Biography of Anil Kakodkar |
नाम: अनिल काकोदकर
उपनाम: साइंसमैन
जन्म: 11 नवम्बर 1943 ई.
स्थान: बड़वानी जिला, मध्यप्रदेश
पिता: पुरूषोत्तम काकोडकर,
माता: कमला काकोडकर,
शिक्षा: स्नातक, मैकेनिकल इंजीनियर
विद्यालय: मुंबई विश्वविद्यालय, नॉटिंघम विश्वविद्यालय, डीजी रूपारेल कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स, वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट वीजेटीआई
कर्मक्षेत्र: परमाणु विज्ञान
प्रसिद्धि: मुस्कुराते बुद्ध, पोखरण-।। भारतीय परमाणु कार्यक्रम,
संस्थान: परमाणु ऊर्जा आयोग (भारत), परमाणु ऊर्जा विभाग (भारत), भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र,
पुरस्कार: पद्मश्री (1998), पद्म भूषण (1999) तथा पद्म विभूषण (26 जनवरी, 2009)
पुस्तकें: फायर एंड फ्यूरी: ट्रांसफॉर्मिंग इंडियाज स्ट्रैटेजिक आइडेंटिटी
कार्यालय: 2000 से 2009 तक भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे।
अनिल काकोदकर का जीवन परिचय।
अनिल काकोडकर एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानिक और मैकेनिकल इंजीनियर हैं। अनिल काकोडकर का जन्म 11 नवंबर 1943 में बड़वानी जिला (वर्तमान मध्य प्रदेश ) में माता कमला काकोडकर, और पिता पुरूषोत्तम काकोडकर, दोनों गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानियों के घर हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़वानी और खरगोन में हुई। अनिल मैट्रिक के बाद की पढ़ाई के लिए मुंबई गये। काकोडकर ने रूपारेल कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिर वीजेटीआई, मुंबई विश्वविद्यालय से 1963 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। वह 1964 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) में शामिल हो गए। उन्होंने नॉटिंघम विश्वविद्यालय से प्रायोगिक तनाव विश्लेषण में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वह BARC के रिएक्टर इंजीनियरिंग डिवीजन में शामिल हो गए। और ध्रुव रिएक्टर के डिजाइन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जो पूरी तरह से मूल लेकिन उच्च तकनीक वाली परियोजना थी। वह 1974 और 1998 में भारत के शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षणों के वास्तुकारों की मुख्य टीम का हिस्सा थे। इसके अलावा उन्होंने भारत के दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर प्रौद्योगिकी में स्वदेशी विकास का नेतृत्व किया है। उन्होंने कलपक्कम में दो रिएक्टरों और रावतभाटा में पहली इकाई के पुनर्वास में काम किया। जो एक समय बंद होने के कगार पर थे। 1996 में वह BARC के निदेशक बने और 2000 से वह भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग का नेतृत्व किया और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव भी थे। उन्होंने 250 से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए हैं।
उनका मानना है कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहिए। खासकर सस्ते राष्ट्रीय थोरियम संसाधनों के इस्तेमाल से। वह उन्नत भारी पानी रिएक्टर को डिजाइन करने में लगे हुए हैं। जो चालक ईंधन के रूप में प्लूटोनियम के साथ प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में थोरियम-यूरेनियम 233 का उपयोग करता है। सरलीकृत लेकिन सुरक्षित तकनीक वाला अनोखा रिएक्टर सिस्टम 75 प्रतिशत बिजली थोरियम से उत्पन्न करेगा। भारत के परमाणु परीक्षणों में प्रमुख भूमिका निभाने के अलावा, काकोदकर परमाणु ऊर्जा के लिए ईंधन के रूप में थोरियम पर भारत की आत्मनिर्भरता के समर्थक हैं। अनिल काकोदकर एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी एवं यांत्रिक अभियन्ता है। नवम्बर, 2009 तक वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव थे। इसके पूर्व वे सन् 1996 से 2000 तक भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के निदेशक थे। वे भारतीय रिज़र्व बैंक में भी निदेशक थें।
अनिल काकोदकर को सन 1998 में पद्मश्री,1999 में पद्म भूषण, तथा 26 जनवरी 2009 में पद्म विभूषण, से सम्मानित किया गया। वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अकादमी के सदस्य और वर्ल्ड इनोवेशन फाउंडेशन के मानद सदस्य थें। वह 1999 से 2002 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा सलाहकार समूह (INSAG) के सदस्य थे।
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