हलायुध का जीवन परिचय | हलायुध की रचनाएँ | halaayudh ka jeevan parichay
हलायुध का जीवन परिचय | हलायुध की रचनाएँ | halaayudh ka jeevan parichay
नाम: हलायुध
जन्म: 10वीं शताब्दी ई.पू
मुख्य रुचियाँ: संस्कृत, गणितज्ञ
रचनाएँ:- हलायुध कोश, मृत-संजीवनी, कवि-रहस्य,
हलायुध का जीवन परिचय ।
हलायुध भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषविद्, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे।
हलायुध का जन्म 10वीं शताब्दी में नेपाल के जनकपुर में हुआ था। वह नेपाली गणितज्ञ हैं। हलायुध मूल रूप से राष्ट्रकूट राजधानी मान्यखेता में रहते थे। जहाँ उन्होंने सम्राट कृष्ण तृतीय के संरक्षण में लिखा था। उनका कवि-रहस्य कृष्ण तृतीय की स्तुति करता है। बाद में, वह परमार साम्राज्य के उज्जैन में चले गये। वहां उन्होंने परमार राजा मुंज के सम्मान में मृत-संजीवनी नामक ग्रन्थ की रचना की जो पिंगल के छन्दशास्त्र का भाष्य है। इसमें पास्कल त्रिभुज का स्पष्ट वर्णन मिलता है। हलायुध द्वारा रचित कोश का नाम अभिधानरत्नमाला है। पर यह हलायुधकोश नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसके पाँच कांड "स्वर, भूमि, पाताल, सामान्य और अनेकार्थ" हैं। प्रथम चार पर्यायवाची कांड हैं। पंचम में अनेकार्थक तथा अव्यय शब्द संगृहीत है। इसमें पूर्वकोशकारों के रूप में अमरदत्त, वरुरुचि, भागुरि और वोपालित के नाम उद्धृत है। रूपभेद से लिंग-बोधन की प्रक्रिया अपनाई गई है। 900 श्लोकों के इस ग्रंथ पर अमरकोश का पर्याप्त प्रभाव जान पड़ता है। कविरहस्य भी इनका रचित है जिसमें 'हलायुध' ने धातुओं के लट्लकार के भिन्न भिन्न रूपों का विशदीकरण भी किया है।
हलायुध की रचनाएँ:- हलायुध कोश, मृत-संजीवनी, कवि-रहस्य,
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