अखंड भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट अशोक | सम्राट अशोक का जीवन परिचय। mahaan samraat ashaak ka jeevan parichay

 


महान सम्राट अशाक का जीवन परिचय / mahaan samraat ashaak ka jeevan parichay | 

पूरा नाम: राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय 'अशोक मौर्य'

अन्य नाम: देवानाम्प्रिय' एवं 'प्रियदर्शी'

जन्म: 304 ईसा पूर्व 

स्थान: पाटलिपुत्र (पटना)

मृत्यु: 232 ईसा पूर्व

स्थान: पाटलिपुत्र, पटना

माता: राजा बिंदुसार , 

माता: रानी सुभद्रांगी

पत्नि: देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता

बच्चे: महिंदा, संघमित्ता, कुणाल, चारुमति, तिवला, जलुका

वंश: मौर्य

राजधानी: पाटलिपुत्र (पटना)

राज्याभिषेक: 272 और 270 ईसा पूर्व के मध्य

राज्य सीमा: सम्पूर्ण भारत

शासनावधि: 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व

पूर्वाधिकारी: बिन्दुसार (पिता)

धार्मिक मान्यता: हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म

उपाधि: चक्रवर्ती सम्राट

प्रसिद्धि: अशोक महान, साम्राज्य विस्तारक, बौद्ध धर्म प्रचारक

निर्माण: भवन, स्तूप, मठ और स्तंभ

युद्ध: सम्राट बनने के बाद एक ही युद्ध लड़ा 'कलिंग-युद्ध' (262 से 260 ई.पू. के बीच)

सुधार-परिवर्तन: शिलालेखों द्वारा जनता में हितकारी आदेशों का प्रचार

रचनाएँ: राष्ट्रीय प्रतीक' और 'अशोक चक्र'

सम्राट अशोक का जीवन परिचय।

सम्राट अशोक का जन्म 304। ईसा पूर्व में पटना के पाटलिपुत्र में हुआ था। इनके पिता जी का नाम बिंदुसार था और इनकी माता जी का नाम सुभद्रांगी था इनके दादा जी का नाम चंद्रगुप्त मौर्य था यह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। सम्राट अशोक की चार पत्नियां थी देवी, पद्मावती, कारुवाकी तथा तिष्यरक्षिता था। और इनके चार पुत्र थे। जिनका नाम कनाल, महेंद्र, तीवल, संघमित्रा तथा एक पुत्री जिसका नाम चारुमती था। अशोक भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था। उसकी गणना विश्व की महान विभूतियों में की जाती है | बौध्द धर्म में अशोक का स्थान भगवान बुध्द के पश्चात् ही था। 

सम्राट अशोक विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। अशोक बौद्ध धर्म के सबसे प्रतापी राजा थे।

सम्राट अशोक का राज अभिषेक 272 और 270। ईसा पूर्व के मध्य किया गया था। इनका राजकाल ईसा पूर्व 269 से, 232 प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक राज्य का मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश, तक्षशिला की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी, सुवर्णगिरी पहाड़ी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश, पाटलीपुत्र से पश्चिम में अफ़गानिस्तान, ईरान, बलूचिस्तान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, 

म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शीर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक' कहा जाता है। जिसका अर्थ है ।‘सम्राटों के सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। 

कलिंग युद्ध के दो वर्ष पहले ही सम्राट अशोक बुद्ध ने था जिससे से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बौद्ध मन्दिर बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैण्ड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते हैं। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका,  अफ़गानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा  यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, 

कन्धार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख प्रारम्भ करने वाला पहला शासक बाद में आरम्भ हुआ था। अशोक ने सर्वप्रथम बौद्ध पन्थ का सिद्धान्त लागू किया जो आज भी कार्यरत है। सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा आगे बढ़े। सम्राट अशोक  द्वारा प्रवर्तित कुल 33 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिन्हें अशोक ने स्तंभों, चट्टानों और गुफाओं की दीवारों में अपने 269। ईसापूर्व से 231। ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक बंगलादेश, भारत,  अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में जगह-जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं।

सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध पन्थ का प्रचार किया। सम्राट अशोक के सन्दर्भ के स्तम्भ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते हैं। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी अन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है।

महान मौर्य सम्राट अशोक की मृत्यु लगभग 232। ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु हुई। इस बात का विवरण नहीं मिलता है कि अशोक के कर्मठ जीवन का अंत कब, कैसे और कहाँ हुआ। तिब्बती परम्परा के अनुसार उसका देहावसान तक्षशिला में हुआ था।


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