महर्षि सुश्रुत का जीवन परिचय। Sushruta Biography in Hindi

 


सर्जरी के जनक, महर्षि सुश्रुत की जीवनी, Biography of Sushruta in Hindi 

नाम: महर्षि सुश्रुत

जन्म: 800 या (6शताब्दी) ई.पू. काशी

मृत्यु: 700 ईसा पूर्व, काशी

माता-पिता: विश्वामित्र

शिक्षा: धन्वन्तरि से शिक्षा ली थी।

व्यवसाय: चिकित्सा

रचना: "सुश्रुत संहिता"

जनक: प्लास्टिक सर्जरी

प्रसिद्धि: आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा (सर्जरी),

क्षेत्र: चिकित्सा, प्लास्टिक सर्जरी, दंत चिकित्सा, प्रसूति एवं स्त्री रोग, नेत्र विज्ञान, डिलीवरी ऑपरेशन, आदि।

👉सुश्रुत का जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था।

👉भारत में पहली सर्जरी सुश्रुत ने की।

👉आयुर्वेद के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ का नाम चरकसंहिता है

सुश्रुत का जीवन परिचय।

शल्य चिकित्सा के जनक और 'सुश्रुत संहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था।

इनका जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था। इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की थी।

सुश्रुत ने प्रसिद्ध चिकित्सकीय ग्रंथ 'सुश्रुत संहिता' की रचना की थी। सुश्रुत संहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है। सुश्रुत संहिता में सुश्रुत को  विश्वामित्र का पुत्र कहा है। 'विश्वामित्र' से कौन से विश्वामित्र अभिप्रेत हैं। यह स्पष्ट नहीं। सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। वे आयुर्वेद के महान ग्रन्थ सुश्रुतसंहिता के प्रणेता हैं। इनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है। आज से लगभग 2800 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी की ।

सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे। इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुइयां, चिमटियां आदि हैं। सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की। सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे। सुश्रुतसंहिता में मोतियाबिंद के ओपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उनको जोडऩे में विशेषज्ञता प्राप्त थी। शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे मद्यपान या विशेष औषधियां देते थे। मद्य संज्ञाहरण का कार्य करता था। इसलिए सुश्रुत को  संज्ञाहरण  का पितामह भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत को मधुमेह व मोटापे के रोग की भी विशेष जानकारी थी। सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे। उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताये और शल्य क्रिया का अभ्यास कराया। प्रारंभिक अवस्था में शल्य क्रिया के अभ्यास के लिए फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे। मानव शारीर की अंदरूनी रचना को समझाने के लिए सुश्रुत शव के ऊपर शल्य क्रिया करके अपने शिष्यों को समझाते थे। सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल अर्जित किया तथा इसका ज्ञान अन्य लोगों को कराया। इन्होंने शल्य चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद के अन्य पक्षों जैसे शरीर सरंचना, काय चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि की जानकारी भी दी। सर्जरी के इन विस्तृत विवरणों के आधार पर अनुवादक जीडी सिंघल ने सुश्रुत को "प्लास्टिक सर्जरी का जनक" करार दिया।

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