आधुनिक भारत के इंजीनियर मोक्षगुंडमेश्वरैया का जीवन परिचय | एम विश्वेश्वरैया का जीवन परिचय | एम. विश्वेश्वरैया की जीवनी
आधुनिक भारत के इंजीनियर, मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का जीवन परिचय | M Visvesvaraya ka jeevan parichay | Biography of M. Visvesvaraya
नाम: डॉ.एम.विश्वेश्वरय्या
पूरानाम: मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
जन्म: 15 सितंबर, 1861 ई.
स्थान: मुद्देनाहल्ली, ब्रिटिश भारत
म्रुत्यु: 14 अप्रैल, 1962 ई.
स्थान: बेंगलुरु, भारत
माता: वेंकाचम्मा
पिता: श्रीनिवास शास्त्री
शिक्षा: इंजीनियरिंग
विद्यालय: सेंट्रल कॉलेज( बंगलूर ), इंजीनियरिंग कॉलेज (पुणे), मद्रास विश्वविद्यालय
पेशा: सिविल इंजीनियर और राजनेता
पद: मैसूर के दीवान
प्रसिद्धि: इंजीनियर, वैज्ञानिक
पुरस्कार: भारत रत्न (1955),
👉डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन (15 सितम्बर) को भारत में 'अभियन्ता दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
👉1912 से 1918 तक मैसूर के 19वें दीवान के रूप में कार्य किया।
👉1909 में ब्रिटिश सेवा से सेवानिवृत्त।
👉टाटा स्टील का निदेशक मंडल 1927-1955
👉मुख्य अभियंता और मैसूर सरकार के सचिव,1909 शामिल हुए।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का जीवन परिचय
सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरय्या भारत के महान अभियन्ता एवं राजनयिक थे। भारत में उनका जन्मदिन अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में 15 सितंबर 1860 को एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री तथा माता का नाम वेंकाचम्मा था। पिता संस्कृत के विद्वान थे। विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा जन्मस्थान से ही पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बंगलूर के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन यहां उनके पास धन का अभाव था। अत: उन्हें टयूशन करना पड़ा। विश्वेश्वरैया ने 1880 में बीए की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया। इसके बाद मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में दाखिला लिया। 1883 की बीई उपाधि की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया। इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया। अपने इस पद पर रहते हुए उन्होंने सबसे पहली सफलता प्राकृतिक जल स्रोत्रों से घर घर में पानी पहुँचाने की व्यवस्था करना और गंदे पानी की निकासी के लिए नाली - नालों की समुचित व्यवस्था करके प्राप्त की। उन्होंने बैंगलोर, पूना, मैसूर, बड़ौदा, कराची, हैदराबाद, ग्वालियर, इंदौर, कोल्हापुर, सूरत, नासिक, नागपुर, बीजापुर, धारवाड़ सहित अनेक नगरों को प्रत्येक प्रकार के जल संकट से मुक्त करा दिया। मैसूर राज्य में उनके योगदान को देखते हुए मैसूर के महाराजा ने उन्हें सन 1912 में राज्य का दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। उनके प्रयत्न से राज्य में कई नए उद्योग लगे। उनमें से प्रमुख थे चन्दन तेल फैक्टरी, साबुन फैक्टरी, धातु फैक्टरी, क्रोम टेनिंग फैक्टरी। उनके द्वारा प्रारंभ किये गए कई कारखानों में से सबसे महत्वपूर्ण भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स है। सर एम विश्वेश्वरैया स्वेच्छा से 1918 में मैसूर के दीवान के रूप में सेवानिवृत्त हो गए। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या को भारत में सबसे अग्रणी सिविल इंजीनियरों में से एक माना जाता है, जिनका जन्मदिन, 15 सितंबर, हर साल भारत, श्रीलंका और तंजानिया में इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है । उन्हें अक्सर "आधुनिक मैसूर का निर्माता " भी माना जाता है। कन्नड़ भाषा के अखबार प्रजावाणी के अनुसार , वह दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में भी सबसे लोकप्रिय व्यक्ति हैं। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ने ब्रिटिश भारत सरकार के लिए एक सिविल इंजीनियर के रूप में और बाद में मैसूर साम्राज्य के प्रधान मंत्री के रूप में काम किया। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनके शुरुआती अक्षरों 'एमवी' से भी जाना जाता है। एक भारतीय सिविल इंजीनियर , प्रशासक और राजनेता थे। जिन्होंने 1912 से 1918 तक मैसूर के 19वें दीवान के रूप में कार्य किया। उन्हें सन 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया था। विश्वेश्वरैया को 1911 में किंग एडवर्ड सप्तम द्वारा कंपेनियन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द इंडियन एम्पायर (CIE) नियुक्त किया गया था। 1915 में, जब वे मैसूर के दीवान थे। विश्वेश्वरैया को जनता की भलाई में उनके योगदान के लिए किंग जॉर्ज पंचम द्वारा "नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर" के रूप में नाइट की उपाधि दी गई थी।
विश्वेश्वरैया अपनी ईमानदारी, समय प्रबंधन और अपने उद्देश्य के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। विश्वेश्वरैया का निधन 14 अप्रैल 1962 को उनका स्वर्गवास हो गया। लेकिन वह अपने कार्यों के द्वारा अमर हो गये।
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