भारत रत्न वैज्ञानिक, चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव का जीवन परिचय और आविष्कार | C N R KA jeevan parichay | Biography of CNR Rao

 


चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव का जीवन परिचय | chintaamani naagesh raamachandr rao ka jeevan parichay

पूरा नाम: चिंतामणि नागेश रामचन्द्र राव

नाम: सी॰ एन॰ आर॰ राव 

जन्म: 30 जून, 1934

स्थान: बेंगलुरु, भारत

पिता: नागेश

माता: नागम्मा राव

पत्नी: इन्दुमति राव

विद्यालय: मैसूर विश्वविद्यालय ( बीएस ),

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ( एमएस ),

पर्ड्यू विश्वविद्यालय ( पीएचडी ), आदि

कर्मक्षेत्र: वैज्ञानिक

प्रसिद्धि: रसायन वैज्ञानिक

पुरस्कार: ह्युजेस पदक' (2000), 'भारत विज्ञान पुरस्कार' (2004), 'अब्दुस सलाम पदक' (2008), 'डैन डेविड पुरस्कार' (2005), 'लीजन ऑफ़ ऑनर' (2005), 'पद्म श्री', 'पद्म विभूषण' एवं 'भारत रत्न' आदि 

भारतीय वैज्ञानिक चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव का जीवन परिचय। 

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव जिन्हें 'सी॰ एन॰ आर॰ राव' के नाम से भी जाना जाता है।

सी एन आर राव का जन्म 30 जून,1934 को  बंगलौर के एक कन्नड़ परिवार में हुआ था। वे अपने पिता 'नागेश' और माता 'नागम्मा राव' की एकमात्र संतान हैं। उन्हें शुरू से अच्छे संस्कार और पढ़ाई का वातावरण मिला। बासवनागुडी में 'आचार्य हाईस्कूल' में पढ़ते हुए उनकी रुचि रसायन विज्ञान की ओर हुई। संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा पर भी उनका अच्छा अधिकार है। उन्होंने 1951 में  केवल सत्रह साल की उम्र में ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ से प्रथम श्रेणी में बीएससी की डिग्री हासिल कर ली थी। बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी। उन्होंने ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ से एमएससी और आईआईटी, खड़गपुर से पीएचडी की। महज 24 साल की आयु में पीएचडी करने वाले वे सबसे युवा वैज्ञानिकों में से एक हैं। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, राव 1959 में व्याख्यान देने के लिए बैंगलोर लौट आए, आईआईएससी में शामिल हुए और एक स्वतंत्र अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किया। 1963 में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में रसायन विज्ञान विभाग में एक स्थायी पद स्वीकार किया। 1964 में उन्हें भारतीय विज्ञान अकादमी का फेलो चुना गया। 

राव 1959 में आईआईएससी, बेंगलुरु में लेक्चरर बने। तीन साल वे आईआईटी, खड़गपुर के रसायन विभाग के प्रधान बने। वहाँ वे 13 साल तक रहे। उन्होंने 1976 में ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस’ में आकर वहाँ ‘सॉलिड स्टेट एंड स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री यूनिट’ बनायी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में स्थानांतरण के बाद , वह आईआईएससी में लौट आए, अंततः 1984 से 1994 तक वे वहाँ निदेशक रहे।वह वैज्ञानिक सलाहकार के अध्यक्ष थे। सी. एन. आर. राव ऑक्सफ़ोर्ड, कैलिफ़ोर्निया, कैम्ब्रिज, सैंटा बारबरा और परड्यू विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। उन्होंने ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने 1989 में बेंगलुरु में ‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड साइंटिफ़िक रिसर्च सेंटर’ की स्थापना की। चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव का  विवाह इंदुमति राव से 1960 में हुआ। उनके पुत्र संजय  बेंगलुरु के स्कूलों में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। उनकी पुत्री सुचित्रा का विवाह के. एम. गणेश से हुआ है, जो 'इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च', पुणे के निदेशक हैं। राव का सारा समय रसायन विज्ञान को समर्पित है। सी॰ एन॰ आर॰ राव एक भारतीय रसायनज्ञ हैं। जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। डॉ॰ राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है। उन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। वर्ष 2013 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। सी वी रमण और ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं।


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