मणीन्द्र अग्रवाल का जीवन परिचय | Manindra Agarwal ka jeevan parichay |
मणीन्द्र अग्रवाल का जीवन परिचय | Manindra Agarwal ka jeevan parichay |
नाम: मणीन्द्र अग्रवाल
जन्म: 20 मई 1966 ई.
स्थान: इलाहाबाद, भारत
शिक्षा: बी.टेक., पी.एच.डी
विद्यालय: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
संस्थान: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर
व्यावसाय: प्रोफेसर
क्षेत्र: कंप्यूटर विज्ञान
प्रसिद्धि: ऐकेएस पराएमीलिटी टेस्ट
पुरस्कार: गोडेल पुरस्कार, फुलकर्सन पुरस्कार, क्ले रिसर्च पुरस्कार, पद्म श्री, आईसीटीपी पुरस्कार
मणीन्द्र अग्रवाल का जीवन परिचय।
मनिन्द्र अग्रवाल एक भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं। मणिंद्र अग्रवाल का जन्म 20 मई 1966 को भारत के इलाहाबाद शहर मे हुआ। मणींद्र अग्रवाल ने आईआईटी कानपूर से बी.टेक किया है। उसके बाद उन्होंने आईआईटी कानपूर विश्वाविदयालय से ही पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त की। मणींद्र अग्रवाल ने नीरज कयाल और नितिन सक्सेना के साथ 'एकेएस प्राइमैलिटी टेस्ट' बनाया है। और प्रकाशित किया गया है। 'एकेएस प्राइमलिटी टेस्ट' एक नियतात्मक प्राइमैलिटी-सिद्ध करने वाला एल्गोरिदम है। जिसे 6 अगस्त 2002 को AKS प्रकाशित किया गया। एल्गोरिदम पहला था जो यह निर्धारित कर सकता है। की सामान्यीकृत रिमेन परिकल्पना पर भरोसा किए बिना। किसी भी दी गई संख्या बहुपद समय के भीतर प्रमुख या फीर समग्र है। AKS के कार्य के लिए उन्हे अनेको पूरस्कार प्राप्त हुऐ है। अग्रवाल ने 2017 से 2021 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के उप निदेशक के रूप में कार्य किया। मणीन्द्र अग्रवाल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी विभाग में प्रोफेसर है। संगणक विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सन् 2013 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म श्री' प्रदान किया। जो भारत का चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। उन्होंने नीरज कयाल एवं नितिन सक्सेना के साथ मिलकर "ऐकेएस पराएमीलिटी टेस्ट" का आविष्कार किया। जिसके लिए उन्हें उनके सहकर्ताओं के साथ संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का प्रतिष्ठित 'गोडेल पुरस्कार' मिला। वह गणित के लिए पहले 'इंफोसिस पुरस्कार' 2008 के प्राप्तकर्ता थे। 2002 में 'क्ले रिसर्च अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया। और 2003 में गणितीय विज्ञान में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, से सम्मानित किया गया ।
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