अब्दुल रहमान ख़ाँ का जीवन परिचय | Abdur Rahman Khan ka jeevan parichay | अब्दुल रहमान ख़ान की जीवनी हिन्दी में


अब्दुल रहमान ख़ाँ का जीवन परिचय | Abdur Rahman Khan ka jeevan parichay | 

नाम: अब्दुल रहमान ख़ाँ

जन्म्: 1840 से 1844 ई. के बीच 

स्थान: काबुल, अफगानिस्तान

मृत्यु: 1 अक्टूबर 1901ई.

स्थान: ज़र्नगर पार्क, काबुल,

पिता: मोहम्मद अफ़ज़ल खान

पत्नी: बाबो जान

स्थापना: 1946 में मारवाड़ जंक्शन कांग्रेस कमेटी की स्थापना

अब्दुल रहमान ख़ाँ का जीवन परिचय ।

अब्दुर रहमान खान एक पश्तून थे। जिनका जन्म 1844 में काबुल में हुआ था। उन्होंने अपनी युवावस्था का अधिकांश समय  अपने पिता मोहम्मद अफजल खान के साथ बल्ख में बिताया। अब्दुर रहमान की मृत्यु 1 अक्टूबर 1901 को उनके ग्रीष्मकालीन महल के अंदर हो गई।

उनको विशेषणों, द आयरन अमीर, या द ड्रैकुला अमीर, से भी जाना जाता है। सन् 1880 से 1901 में अपनी मृत्यु तक अफगानिस्तान के अमीर थे। उन्हें वर्षों की आंतरिक लड़ाई और ब्रिटिश भारत के साथ डूरंड रेखा समझौते पर बातचीत के बाद देश को एकजुट करने के लिए जाना जाता है। अब्दुल रहमान ख़ाँ मारवाड़ जंक्शन (राजस्थान) निवासी भारत के उन स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक हैं। जिन्होंने स्वतन्त्रता के साथ-साथ जन सेवा का भी व्रत लिया था। सन् 1946 में मारवाड़ जंक्शन कांग्रेस कमेटी की स्थापना व गठन किया गया। एक झोपड़ी में तिरंगा लगाकर कार्यालय बनाने वाले अध्यक्ष कोई और नहीं अब्दुल रहमान खाँ ही थे। इन्हें जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। 22 जुलाई 1880 को काबुल में दरबार आयोजित किया गया जिसमें अब्दुर रहमान ख़ान ने अमीर का तख़्त ग्रहण किया। अंग्रेज़ों ने उसे पैसे और हथियार से मदद करने का वायदा किया। उन्होंने उसे बाहरी आक्रमण की सूरत में भी सहायता करने का वचन दिया बशर्ते के वह अंग्रेज़ों के साथ दोस्ती क़याम रखे और रूस का ज़्यादा साथ न दे। अंग्रेज़ी और भारतीय सैनिक धीरे-धीरे अफ़ग़ानिस्तान से हट गए और 1881 में ब्रिटिश सैनिकों ने कंदाहार को भी अमीर के हवाले कर दिया। 1885 में , जिस समय अमीर भारत में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड डफरिन के साथ सम्मेलन में थे। 1893 में, मोर्टिमर डूरंड ने अब्दुर रहमान खान के साथ अफगानिस्तान ,एफएटीए, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत और  बलूचिस्तान, जो अब ब्रिटिश भारत के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में पाकिस्तान के प्रांत हैं। के बीच सीमा के सीमांकन के लिए डूरंड रेखा संधि पर बातचीत की।1905 में, अमीर हबीबुल्लाह खान ने  यूनाइटेड किंगडम के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिसने डूरंड रेखा की वैधता की पुष्टि की।


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