अशोक चक्रधर का जीवन परिचय | Ashok Chakradhar ka jeevan parichay | अशोक शर्मा की जीवनी हिन्दी में |
अशोक चक्रधर का जीवन परिचय | Ashok Chakradhar ka jeevan parichay | अशोक शर्मा की जीवनी हिन्दी में |
नाम: अशोक चक्रधर
पुरानाम: अशोक शर्मा
जन्म: 8 फ़रवरी 1951ई.
स्थान: खुर्जा, उत्तर प्रदेश, भारत
पिता: डॉ.राधेश्याम "प्रगल्भ"
माता: कुसुम प्रगल्भ
पत्नी: बागेश्री चक्रधर
शिक्षा: आगरा विश्वविद्यालय (स्नातकोत्तर), दिल्ली विश्वविद्यालय (एम. लिट्.),
व्यवसाय: कवि, निबंधकार, साहित्यिक आलोचक, लेखक, निर्देशक
प्रसिद्धि: हास्य व्यंग्य कवि
पुरस्कार: पद्म श्री, यश भारती पुरस्कार, हास्य-रत्न उपाधि, बाल साहित्य पुरस्कार, निरालाश्री पुरस्कार, शान-ए-हिन्द अवार्ड,।
रचनाएँ: कविता संग्रह:- बूढ़े बच्चे, सो तो है, भोले भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, हंसो और मर जाओ, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, चुनी चुनाई, सोची समझी, जो करे सो जोकर, मसलाराम,।
नाटक:- रंग जमा लो, बिटिया की सिसकियां, बंदरिया चली ससुराल, जब रहा ना कोई चारा, जाने क्या तपके,।
बाल साहित्य:- कोयल का सितार, स्नेहा का सपना, हीरों की छोरी, एक बगिया मैं,।
वयस्क शैक्षिक साहित्य:- नई डगर, बहुत अच्छे, अपाहिज कौन, बादल जाएंगी रेखाएं, घरे ऊपर हंडिया, मजदूर की राह, जुगत करो जीने की, और कितने दिन, आदि।
कवि अशोक चक्रधर का जीवन परिचय ।
अशोक चक्रधर जी का जन्म 8 फ़रवरी सन 1951 में खु्र्जा, उत्तर प्रदेश के अहीरपाड़ा मौहल्ले में हुआ। उनके पिताजी डॉ॰ राधेश्याम 'प्रगल्भ'' अध्यापक, कवि, बाल साहित्यकार और संपादक थे। उनकी माता कुसुम प्रगल्भ गृहिणी थीं। बचपन से ही विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने में उनकी रुचि थी। बचपन से ही उन्हें अपने कवि पिता का साहित्यिक मार्गदर्शन मिला और उनके कवि-मित्रों की गोष्ठियों के माध्यम से उन्हें कविता लेखन की अनौपचारिक शिक्षा मिली। सन 1960 में उन्होंने रक्षामंत्री 'कृष्णा मेनन' को अपनी पहली कविता सुनाई।
साहित्यिक अभिरुचि के साथ-साथ अपनी पढ़ाई के प्रति भी अशोक चक्रधर काफ़ी सतर्क रहे। सन् 1970 में उन्होंने बी. ए. प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण किया। 1972 में उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में एम. लिट्. में प्रवेश लिया। इसी बीच 1972 में उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में प्रध्यापक पद पर नियुक्त मिल गई। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में इन दिनों अनेक गुणात्मक परिवर्तन हुए। उनकी पहली पुस्तक मैकमिलन से 'मुक्तिबोध की काव्य प्रक्रिया' 1975 में प्रकाशित हुई। 1975 में उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्राध्यापक के पद पर कार्य प्रारंभ किया, जहाँ वे 2008 तक कार्यरत रहे।
इनका नाटक बंदरिया चली ससुराल नाटक का नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा मंचन हो चुका है। अशोक चक्रधर ने हिन्दी के विकास में कम्प्यूटर की भूमिका विषयक शताधिक पावर-पाइंट प्रस्तुतियां की हैं और ये हिन्दी सलाहकार समिति, ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार तथा हिमाचल कला संस्कृति और भाषा अकादमी, हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला के भूतपूर्व सदस्य रह चुके हैं। वे साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए विश्व भ्रमण करते रहे हैं।
डॉ॰ अशोक चक्रधर हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी के रूप में निरंतर कार्यरत अशोक चक्रधर जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी व पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद केन्द्रीय हिंदी संस्थान तथा 2009 में हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
अशोक चक्रधर की रचनाएँ: बूढ़े बच्चे, सो तो है, भोले भाले, तमाशा, रंग जमा लो, बिटिया की सिसकियां, कोयल का सितार, स्नेहा का सपना, नई डगर, बहुत अच्छे, अपाहिज कौन,आदि है।
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