भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय और रचनाएँ | Bharatendu Harishchandra ka jeevan parichay | बाबू भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जीवनी हिन्दी में |
भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय और रचनाएँ | Bharatendu Harishchandra ka jeevan parichay | बाबू भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जीवनी हिन्दी में |
पूरानाम: बाबू भारतेन्दु हरिश्चंद्र
नाम: भारतेंदु हरिश्चंद्र
जन्म: 9 सितम्बर 1850 ई.
स्थान: वाराणसी, भारत
मृत्यु: 6 जनवरी 1885 ई.
स्थान: वाराणसी, भारत
पिता: गोपाल चंद्र
माता: पार्वती देवी
पत्नी: मत्रा देवी।
शिक्षा: स्वाध्याय के द्वारा विभिन्न भाषाओं का ज्ञानार्जन।
पेशा: कवि लेखक, रंगकर्मी, देशहितचिन्तक पत्रकार
भाषा: ब्रजभाषा एवं खड़ी बोली
शैली: मुक्तक।
विषय: आधुनिक हिन्दी साहित्य
उल्लेखनीय कार्य: अंधेर नगरी
लेखन विधा: कविता, नाटक, एकांकी, निबन्ध, उपन्यास, पत्रकारिता।
रचनाएँ: कविता-: प्रेम मलिका 1872, प्रेम माधुरी 1875, प्रेम तरंग 1877, होली 1874, मधुमुकुल 1881, राग संग्रह 1880, फूलों का गुच्छ 1882, विनय प्रेम पचासा 1881, चंद्रावली 1876, कृष्णचरित्र 1883, नाटक-: वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति 1873, सत्य हरिश्चन्द्र 1875, श्री चंद्रावली 1876, भारत दुर्दशा 1880, नीलदेवी 1881, अंधेर नगरी 1881, प्रेमजोगिनी 1875,
निबंध संग्रह-: भारतेंदु ग्रंथावली 1885, नाटक, कश्मीर कुसुम, जातीय संगीत, संगीत सार, हिंदी भाषा, स्वर्ग में विचार सभा, कालचक्र, भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है, आत्मकथा-: कुछ आपबीती कुछ जग बीती, उपन्यास-: पूर्णप्रकाश, चन्द्रप्रभा,
कहानी-: अद्भुत अपूर्व स्वप्न,
अनुवाद-: हर्ष की रत्नावली, कर्पूरमंजरी, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, विद्यासुंदर,
👉भारतेंदु हिंदी गद्य के जनक कहे जाते हैं
👉भारतेन्दु युग के प्रवर्तक।
👉भारतेंदु का पहला नाटक 'विद्यासुन्दर' माना जाता है।
👉भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कुल सत्रह नाटकों की रचना की।
👉भारतेंदु ने 35 वर्ष की आयु में 175 ग्रंथों की रचना की।
👉भारतेंदु युग की समय सीमा 1869 से 1900 तक मानी गई है।
👉भारतेंदु हरिश्चंद्र को नाट्य विधा काप्रवर्तक माना जाता हैं।
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