भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार | ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित का जीवन परिचय | जे.एन. दीक्षित की जीवनी हिंदी में |
ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित का जीवन परिचय |
J.N. Dixit ka jeevan parichay |
नाम: ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित (जे एन दीक्षित)
जन्म्: 8 जनवरी 1936 ई.
स्थान: चेन्नई, भारत
मृत्यु: 3 जनवरी 2005 ई.
स्थान: नई दिल्ली, भारत
पिता: मुंशी परमु पिल्लई
माता: रत्नमयी देवी
पत्नी: विजया लक्ष्मी सुंदरम
शिक्षा: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज,
पेशा: राजनयिक
पुरस्कार: पद्म विभूषण 2005
👉भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार 26 मई 2004 से 3 जनवरी 2005 तक।
👉भारत के 18वें विदेश सचिव 1 दिसंबर 1991 से 31 जनवरी 1994 तक।
ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित का जीवन परिचय
ज्योतिंद्र नाथ दीक्षित एक भारतीय राजनयिक थे। जिन्होंने विदेश मंत्रालय में शीर्ष नौकरशाह, विदेश सचिव के रूप में कार्य किया। अपनी मृत्यु के समय, वह प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। और उन्हें पाकिस्तान और चीन के साथ विवादों में वार्ताकार के रूप में उनकी भूमिका के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित या जे एन दीक्षित का जन्म 8 जनवरी 1936 को चेन्नई में जिसे उस समय मद्रास के नाम से जाना जाता था।
इनके पिता प्रसिद्ध मलयाली लेखक 'मुंशी परमु पिल्लई' और माता का नाम 'रत्नमयी देवी' था। ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित का अपना उपनाम 'दीक्षित' अपने सौतेले पिता, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार, सीताराम दीक्षित से मिला। जे.एन दीक्षित ने अपनी स्कूली शिक्षा मध्य भारत, राजस्थान और दिल्ली में की। इसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स की डिग्री की। और फिर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री ली। और डॉक्टरेट की पढ़ाई इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से डिग्री ली। जो अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का हिस्सा है।
ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित जिन्हें 'जे एन दीक्षित' नाम से अधिक जाना जाता है। एक अनुभवी राजनयिक थे जो कि भारत के विदेश सचिव भी रहे। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद वे वहाँ भारत के पहले उच्चायुक्त थे। वे पाकिस्तान और श्रीलंका में भी भारत के उच्चायुक्त रहे। 1958 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए। और ऑस्ट्रिया के विएना में सेवा की। बांग्लादेश की मुक्ति के बाद, भारत के उप उच्चायुक्त बने। इसके बाद चिली, मैक्सिको में राजदूत, जापान,ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, उच्चायुक्त श्रीलंका और पाकिस्तान, वह भूटान में भारतीय सहायता के मुख्य प्रशासक थे। बाद में उन्होंने 1991 से भारतीय विदेश सचिव के रूप में कार्य किया और 1994 में सेवानिवृत होने के बाद से वो लगातार देश-विदेश में पढ़ाने के अलावा अख़बारों में लिखते रहे। वह कई पुस्तकों के लेखक भी थे। वह 1987 में कोलंबो में उच्चायुक्त थे। जब भारत ने श्रीलंका सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। और जातीय संकट के चरम पर द्वीप राष्ट्र में तमिल क्षेत्र में भारतीय शांति सेना को तैनात किया था। वह 2004 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आसीन हुए। और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों पर उनके कॉलम,आउटलुक और इंडियन एक्सप्रेस सहित विभिन्न प्रकाशनों में नियमित रूप से दिखाई देते थे। और कई शैक्षणिक संस्थानों में विजिटिंग लेक्चरर बने रहे। ज्योतिन्द्र नाथ दीक्षित ने 26 मई 2004 से 3 जनवरी 2005 अपने मृत्यु तक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रहे। भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'पद्म विभूषण' 2005 में जेएन दीक्षित को मरणोपरांत प्रदान किया गया था।
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