गोपालदास नीरज का जीवन परिचय | Gopaldas Neeraj ka jeevan parichay | गोपालदास नीरज की जीवनी हिंदी में |


गोपालदास नीरज का जीवन परिचय | Gopaldas Neeraj ka jeevan parichay | गोपालदास नीरज की जीवनी हिंदी में | 

पूरानाम: गोपालदास सक्सैना 'नीरज'

उपनाम: नीरज, 

जन्म: 4 जनवरी 1925 ई

स्थान: इटावा, उत्तर प्रदेश,

मृत्यु: 19 जुलाई 2018 ई.

स्थान: दिल्ली, भारत

पिता: बाबू ब्रजकिशोर

माता: श्रीमती सुखदेवी 

पत्नी: सावित्री देवी 

शिक्षा: स्नातकोत्तर

पेशा: गीतकार, कवि, प्रोफेसर

साहित्य काल: आधुनिक काल 

पुरस्कार : पद्म भूषण, विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार, पद्म भूषण सम्मान 2007, फिल्म फेयर पुरस्कार, यश भारती सम्मान, आदि।

रचनाएँ: संघर्ष  1944, अन्तर्ध्वनि 1946, विभावरी  1948, प्राणगीत  1951, दर्द दिया है 1956, बादर बरस गयो  1957, मुक्तकी  1958, दो गीत  1958, नीरज की पाती  1958, गीत भी अगीत भी  1959, आसावरी  1963, नदी किनारे  1963, लहर पुकारे  1963, कारवाँ गुजर गया  1964, फिर दीप जलेगा  1970, तुम्हारे लिये  1972, नीरज की गीतिकाएँ  1987, काव्य संग्रह:- बादर बसर गयौ, प्राण गीत, नदी किनारे, लहर पुकारे, आदि।

गोपालदास सक्सेना 'नीरज' का जीवन परिचय।

गोपालदास सक्सेना उनके उपनाम नीरज से जाने जाते हैं। एक भारतीय कवि और हिंदी साहित्य के लेखक थे। वह हिंदी कवि सम्मेलन के कवि भी थे। गोपालदास सक्सेना का जन्म 4 जनवरी 1925 को भारत के उत्तर प्रदेश के  इटावा जिले के महेवा के पास पुरावली गाँव में हुआ था। उनका जन्म कायस्थ जाति के एक हिंदू परिवार में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना के घर हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती सुखदेवी था। उनका विवाह सुश्री सावित्रीदेवी से हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में पिता गुजर गये। 1942 में एटा से हाई स्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की। लम्बी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहाँ से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डी.ए.वी कॉलेज में क्लर्की की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पाँच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देकर 1949 में इण्टरमीडिएट, 1951 में बी.ए. और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एम.ए. किया। उन्होंने एक कॉलेज में अध्यापन करके अपना जीवन यापन किया।और धर्म समाज कॉलेज, अलीगढ़ में हिंदी साहित्य के प्रोफेसर थे। 2012 के आसपास, नीरज मंगलायतन विश्वविद्यालय, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के चांसलर थे ।

गोपालदास नीरज की लिखी कई कविताएं और गाने हिंदी फिल्मों में इस्तेमाल किए गए हैं।उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे और हिंदी और उर्दू दोनों में पारंगत थे। एक टेलीविजन साक्षात्कार में, नीरज ने खुद को एक बदकिस्मत कवि कहा जिसे फिल्मों के लिए गीत लिखने के बजाय काव्य विधा पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा। एक फिल्म गीतकार के रूप में उनका करियर तब समाप्त हो गया जब वह कुछ फिल्म संगीत निर्देशकों की मृत्यु से उदास हो गए। जिनके साथ उन्होंने काम किया था। उन्होंने विशेष रूप से संगीत जोड़ी शंकर-जयकिशन के जयकिशन और एसडी बर्मन की मृत्यु का उल्लेख किया। जिनके लिए उन्होंने अत्यधिक लोकप्रिय फिल्मी गीत लिखे थे।

उन्हें 1991 में पद्म श्री और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

गोपालदास नीरज को 19 जुलाई 2018 को नई दिल्ली में 93 वर्ष की आयु में नीरज का निधन हो गया। उन्हें फेफड़ों में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

गोपालदास नीरज हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।

कवि गोपालदास नीरज की प्रसिद्ध रचनाएं: दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की गीतीकाएँ, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के, आदि है। 


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