केदारनाथ अग्रवाल का जीवन परिचय | Kedarnath Agarwal ka jeevan parichay | केदारनाथ अग्रवाल की लघु जीवनी हिंदी में |

 


केदारनाथ अग्रवाल का जीवन परिचय | Kedarnath Agarwal ka jeevan parichay | केदारनाथ अग्रवाल की लघु जीवनी हिंदी में | 

नाम: केदारनाथ अग्रवाल

जन्म: 1 अप्रैल 1911 ई.

स्थान: कमासिन, उत्तर प्रदेश

मृत्यु: 22 जून 2000 ई.

पिता: हनुमान प्रसाद गुप्ता

माता: घसीटो देवी

विद्यालय: इलाहाबाद विश्वविद्यालय

शिक्षा: बी.ए., वकालत

भाषा: सरल-सहज, सीधी-ठेठ,

पेशा: कवि, लेखक

शैली: मुक्तक शैली

साहित्य काल: प्रगतिवादी काव्यधारा

विधाएँ: निबन्ध, उपन्यास, यात्रावृत्त, पत्र-साहित्य तथा कविता आदि।

पुरस्कार: सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, हिंदी संस्थान पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, आदि।

रचनाएँ: युग की गंगा, नींद के बादल, लोक और आलोक, फूल नहीं रंग बोलते हैं, आग का आइना, बम्बई का रक्तस्नान, गुलमेंहदी, पंख और पटवार, मर प्यार की थापें, वह मेरी तुम, कहिन केदार खरी खरी, अपूर्वा, वाह चिड़िया जो, जामुन जल तुमज़सा, बोले बोल अबोल, जो शिलाएं तोड़ते हैं, आत्मा गंध, अन्हारी हरियाली, खुली आंखें खुली दिने,पुष्पदीप, अनहारी हरियाली, पहला पानी, मैना, जीवन से,

यात्रा संस्मरण:- बस्ती खिले गुलाबों की, उपन्यास पतिया, बैल बाजी मार ले गये, निबंध संग्रह:- समय समय पर (1970), विचार बोध (1980), विवेक विवेचन (1980), आदि।

👉केदारनाथ अग्रवाल 'प्रगतिशील कवि' हैं।

👉केदारनाथ अग्रवाल का प्रथम काव्य संग्रह "युग की गंगा आज़ादी के पहले" है।

👉कविता संग्रह "अपूर्वा" के लिये 1986 का 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित है।

केदारनाथ अग्रवाल का जीवन परिचय।

केदारनाथ अग्रवाल हिन्दी प्रमुख कवि का जन्म 1 अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के कमासिन गाँव में अपने पिता 'हनुमान प्रसाद गुप्ता' व माता 'घसीटो देवी' के घर हुआ था।

केदार जी के पिताजी स्वयं कवि थे और उनका एक काव्य संकलन ‘मधुरिम’ के नाम से प्रकाशित भी हुआ था। केदार जी का आरंभिक जीवन कमासिन के ग्रामीण माहौल में बीता और शिक्षा दीक्षा की शुरूआत भी वहीं हुई। 

केदारनाथ अग्रवाल अपने चाचा मुकुंदलाल अग्रवाल के संरक्षण में उन्होंने शिक्षा पाई। क्रमशः रायबरेली, कटनी, जबलपुर, इलाहाबाद में उनकी पढ़ाई हुई। इलाहाबाद में बी.ए. की उपाधि हासिल करने के पश्चात् क़ानूनी शिक्षा उन्होंने कानपुर में हासिल की। तत्पश्चात् बाँदा पहुँचकर वहीं वकालत करने लगे थे।

केदारनाथ का इलाहाबाद से गहरा रिश्ता था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही उन्होंने कविताएँ लिखने की शुरुआत की। उनकी लेखनी में प्रयाग की प्रेरणा का बड़ा योगदान रहा है। प्रयाग के साहित्यिक परिवेश से उनके गहरे रिश्ते का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी सभी मुख्य कृतियाँ इलाहाबाद के परिमल प्रकाशन से ही प्रकाशित हुई। प्रकाशक शिवकुमार सहाय उन्हें पितातुल्य मानते थे और 'बाबूजी' कहते थे। उनका पहला कविता संग्रह फूल नहीं रंग बोलते हैं परिमल से ही प्रकाशित हुआ था। केदारनाथ अग्रवाल का पहला काव्य-संग्रह युग की गंगा आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। केदारनाथ अग्रवाल ने मार्क्सवादी दर्शन को जीवन का आधार मानकर जनसाधारण के जीवन की गहरी व व्यापक संवेदना को अपने कवियों में मुखरित किया है। 

केदारनाथ अग्रवाल अग्रवाल द्वारा यात्रा संस्मरण 'बस्ती खिले गुलाबों की' उपन्यास 'पतिया', 'बैल बाजी मार ले गये' तथा निबंध संग्रह 'समय समय पर' (1970), 'विचार बोध' (1980), 'विवेक विवेचन' (1980) भी लिखे गये हैं। उनकी कई कृतियाँ अंग्रेज़ी, रूसी और जर्मन भाषा में अनुवाद हो चुकी हैं। केदार शोधपीठ की ओर हर साल एक साहित्यकार को लेखनी के लिए 'केदार सम्मान' से सम्मानित किया जाता है।

उनका कविता-संग्रह 'फूल नहीं, रंग बोलते हैं' सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है। कविता संग्रह 'अपूर्वा' के लिये 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसके अलावा वे हिंदी संस्थान पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार आदि पुरस्कारों से सम्मानित हुए है।

केदारनाथ अग्रवाल की प्रमुख रचनाएँ: युग की गंगा, नींद के बादल, लोक और अलोक, आग का आइना, पंख और पतवार, अपूर्वा, बोले बोल अनमोल, आत्म गंध आदि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। केदारनाथ अग्रवाल जी की मृत्यु 22 जून 2000 को हुई थी।


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