नरोत्तमदास का जीवन जीवन | Narottamdas ka jeevan parichay | नरोत्तमदास की लघु जीवनी हिंदी में |

नरोत्तमदास का जीवन जीवन | Narottamdas ka jeevan parichay | नरोत्तमदास की लघु जीवनी हिंदी में | 

नाम: नरोत्तमदास

जन्म: सन 1493 ई. संवत: 1550

स्थान: सीतापुर, उत्तर प्रदेश

मृत्यु: सन् 1542 ई., संवत 1605 

भाषा: प्रवाहपूर्ण सरस ब्रज भाषा

शैली: काव्यात्मक नाट्य शैली

छंद: दोहा, कवित्त, सवैया, कुंडली

विषय: सगुण भक्ति

रचनाएँ: सुदामा चरित, ध्रुव-चरित, विचार माला, नाम-संकीर्तन’

वर्ण्य विषय:  कृष्ण और सुदामा की आदर्श मित्रता, दरिद्रता और भावुकता का सफल चित्रण


👉ध्रुव-चरित 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुआ। 


महाकवि नरोत्तमदास का जीवन जीवन ।

नरोत्तमदास हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। 

महाकवि नरोत्तमदास का जन्म सन् 1550 विक्रम (तदनुसार 1493 ईसवी) के लगभग वर्तमान उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में हुआ था। और मृत्यु सन् 1650 (तदनुसार 1542 ईसवी) में हुई। नरोत्तमदास को ब्रज भाषा के कवि कहे जाते हैं। इनकी प्रमुख रचना ‘सुदामा चरित’ एकमात्र खंड काव्य है। ये हिंदी साहित्य की अमूल्य रचना मानी जाती है। हिन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं। जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक ऐसे ही कवि हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्मे कवि नरोत्तमदास, जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘सुदामा चरित’ ब्रजभाषा में मिलता है। जो हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाती है। शिव सिंह सरोज में सम्वत्  1602  तक इनके जीवित होने की बात कही गई है। इसके अतिरिक्त इनके सम्बंध में अन्य प्रमाणिक अभिलेखों में जार्ज ग्रियर्सन का अध्ययन है। जिसमें उन्होंने महाकवि का जन्मकाल सम्वत् 1610 माना है।

गणेश बिहारी मिश्र की मिश्रबंधु विनोद के अनुसार 1900 की खोज में इनकी कुछ अन्य रचनाओं ‘विचार माला’ तथा ‘ध्रुव-चरित’ और ‘नाम-संकीर्तन’ के संबंध में भी जानकारियाँ मिलते हैं। परन्तु इस संबंध में अब तक प्रामाणिकता का अभाव है। नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, की एक खोज रिपोर्ट में भी ‘विचारमाला’ व ‘नाम-संकीर्तन’ की अनुपलब्धता का वर्णन है। ‘ध्रुव-चरित’ आंशिक रूप से उपलब्ध है। जिसके 28 छंद ‘रसवती’ पत्रिका में 1968 अंक में प्रकाशित हुए।

नरोत्तमदास का 'सुदामाचरित्र' ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध है। इसमें नरोत्तमदास ने सुदामा के घर की दरिद्रता का बहुत ही सुंदर वर्णन है। यद्यपि यह छोटा है। तथापि इसकी रचना बहुत ही सरस और हृदयग्राहिणी है। और कवि की भावुकता का परिचय देती है। भाषा भी बहुत ही परिमार्जित और व्यवस्थित है। बहुतेरे कवियों के समान भरती के शब्द और वाक्य इसमें नहीं हैं। कुछ लोगों के अनुसार इन्होंने इसी प्रकार का एक और खंडकाव्य 'ध्रुवचरित' भी लिखा है। 

नरोत्तमदास की रचनाएँ: सुदामा चरित, ध्रुव चरित, नाम संकीर्तन, विचारमाला,।

 

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