उमेश चन्द्र बनर्जी का जीवन परिचय | Umesh Chandra Banerjee ka jeevan parichay | वोमेश चंद्र बनर्जी की जीवनी हिंदी में |


उमेश चन्द्र बनर्जी का जीवन परिचय | Umesh Chandra Banerjee ka jeevan parichay | वोमेश चंद्र बनर्जी की जीवनी हिंदी में | 

पूरानाम: वोमेश चंदर बोनर्जी

अन्यनाम: उमेश चन्द्र बनर्जी

जन्म: 29 दिसम्बर 1844 ई.

स्थान: कलकत्ता, ब्रितानी भारत

मृत्यु: 21 जुलाई 1906 ई.

स्थान: क्रॉयडन, इंग्लैंड

पत्नी: हेमांगीनी मोतीलाल

शिक्षा: द ओरिएंटल सेमिनरी, हिंदू स्कूल

पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

पद: कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष

पेशा: वकील

प्रसिद्धि: उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील

👉इलाहाबाद में 1892 ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था।

👉भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले और 8वें अध्यक्ष 1885 से 1886 औफ 1892 से 1893तक।

👉1901 में वह कलकत्ता बार से सेवानिवृत्त हुए।

👉1902 ई. में वे इंग्लैंड जाकर बस गये।

👉वह एक सह-संस्थापक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष थे ।

👉वह एक स्थायी वकील के रूप में कार्य करने वाले पहले भारतीय थे ।


उमेश चन्द्र बनर्जी का जीवन परिचय ।

वोमेश चंद्र बनर्जी या उमेश चन्द्र बनर्जी का जन्म 29 दिसंबर 1844 में कलकत्ता के एक उच्च मध्यम वर्ग के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ। वह एक बहुत ही सम्मानित रारही कुलिन ब्राह्मण परिवार से थे। जो वर्तमान पश्चिम बंगाल राज्य में हावड़ा शहर के पश्चिम में स्थित बगंडा के रहने वाले थे। व्योमेश चंद्र वर्तमान पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के ट्रिबेनी के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और दार्शनिक पंडित जुगगोनाथ तुर्कोपंचनुन के वंशज थे।

उनके पिता कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायवादी थे। बोनर्जी ने ओरिएंटल सेमिनरी और हिंदू स्कूल में अध्ययन किया।1859 में उनका विवाह हेमांगिनी मोतीलाल के साथ हुआ। उन्होंने 1862 डब्ल्यू॰पी॰ अटोर्नीज़ ऑफ़ कलकत्ता सुप्रीम कोर्ट में लिपिक की नौकरी आरम्भ की। इस समय उन्होंने कानूनी जानकारियाँ प्राप्त की जो उनके आगे के जीवन में काफी सहायक रही। 1864 में उन्हें बम्बई के आर॰जे॰ जीजाबाई ने छात्रवृत्ति के साथ इंग्लैण्ड भेजा। 1868 में अपनी कोलकाता वापसी पर उन्हें सर चार्ल्स पॉल, बैरिस्टर-एट-लॉ, कलकत्ता उच्च न्यायालय में नौकरी मिली। अन्य वकील जे॰पी॰ केनेडी ने भी उनकी एक वकील के रूप में काफी सहायता की। कुछ ही समय में वो उच्च न्यायालय के जाने-माने वकीलों में से एक हो गये। वो कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्र एवं इसके विधि संकाय के अध्यक्ष भी रहे।और इसके बाद विधान परिषद् के लिए भी चुने गये।वो कलकत्ता बार से 1901 में सेवा निवृत्त हुए।

उमेश चन्द्र बनर्जी भारतीय बैरिस्टर एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे। ब्रिटेन के  हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये चुनाव लड़ने वाले वे प्रथम भारतीय थे। ब्रितानी संसद में प्रवेश पाने की उन्होने दो कोशिशें की किन्तु असफल रहे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बम्बई में 1885 में हुए। प्रथम सत्र की अध्यक्षता की। यह सत्र 28 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक चला था और 72 सदस्यों ने इसमें भाग लिया था। वह 1892 में इलाहाबाद सत्र में फिर से  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। जहां उन्होंने उस स्थिति की निंदा की जिसे भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता की योग्यता के लिए साबित करना था। वह ब्रिटेन चले गये। और प्रिवी काउंसिल के समक्ष वकालत की।

उन्होंने लंदन में कांग्रेस की ब्रिटिश समिति और उसकी पत्रिकाओं को वित्तपोषित किया। 1865 में दादाभाई नौरोजी ने लंदन इंडियन सोसाइटी की स्थापना की और बोनर्जी को इसका महासचिव बनाया गया। उन्होंने 1892 के यूनाइटेड किंगडम के आम चुनाव में बैरो और फर्नेस सीट के लिए लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के रूप में असफल रूप से चुनाव लड़ा। 1893 में, नौरोजी, बोनर्जी और बदरुद्दीन तैयबजी ने इंग्लैंड में भारतीय संसदीय समिति की स्थापना की।

वोमेश चंद्र बनर्जी को 21 जुलाई 1906 में 62 वर्ष की आयु में बनर्जी का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया। 

टिप्पणियाँ

Read more

सुधांशु त्रिवेदी का जीवन परिचय | sudhanshu trivedi ka jeevan parichay | सुधांशु त्रिवेदी की जीवनी हिन्दी में

राष्ट्रकवि प्रदीप का जीवन परिचय | kavi pradeep ka jeevan parichay | कवि प्रदीप की लघु जीवनी हिंदी में |

श्याम नारायण पाण्डेय का जीवन परिचय | Shyam Narayan Pandey ka jeevan parichay | श्याम नारायण पाण्डेय की लघु जीवनी हिंदी में |

भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय | Bhavani Prasad Mishra ka jeevan parichay | भवानी प्रसाद मिश्र की लघु जीवनी हिंदी में |