राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी का जीवन परिचय | Balkavi Bairagi ka jeevan parichay | बालकवि बैरागी की लघु जीवनी हिंदी में |


राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी का जीवन परिचय | Balkavi Bairagi ka jeevan parichay | बालकवि बैरागी की लघु जीवनी हिंदी में | 

मूलनाम: नंदराम दास बैरागी

उपनाम: बालकवि बैरागी 

जन्म: 10 फरवरी 1931ई.

मृत्यु: 13 मई 2018 ई.

स्थान: मनासा, मध्य प्रदेश 

पिता: द्वारिकादास बैरागी

शिक्षा: विक्रम विश्वविद्यालय (स्नातकोत्तर)

पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

पेशा: कवि, फिल्म गीतकार, राजनीतिज्ञ,

रचनाएँ : गौरव-गीत, दरद दीवानी, दो टूक, झर गए पात, बिसर गई टेहनी, चाँद में धब्बा, चाय बनाओ, आकाश, विश्वास, सारा देश हमारा, मेरे देश के लाल, खुद सागर बन जाओ, रेत के रिश्ते, भावी रक्षक देश के, आदि है।

👉मध्य प्रदेश से राज्य सभा के सदस्य 1998 से 2004 तक

👉मध्य प्रदेश से लोकसभा के सदस्य 1984 से 1989 तक 

👉मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री 1980 से 1985 तक।

राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी का जीवन परिचय ।

हिन्दी कवि और लेखक आदरणीय  बालकवि बैरागी जी का जन्म 10 फरवरी 1931 को मंदसौर की मनासा तहसील के रामपुरा गाँव में हुआ था। 13 मई 2018 को 87 वर्ष की आयु में उनकी नींद में ही मृत्यु हो गई। इनका मूल नाम नंदराम बैरागी था। उन्हें लोकप्रिय रूप से "बालकवि" बैरागी कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने बचपन में कुछ उत्कृष्ट कविताएँ लिखी थीं। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की ।

बालकवि बैरागी लोकप्रिय राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी भारत के एक हिंदी कवि, फिल्म गीतकार और राजनीतिज्ञ थे। मालवी में उनके गीतों, जैसे कि बहुत लोकप्रिय 'पनिहारी' ने मालवी को मुख्यधारा की हिंदी कविता परिदृश्य में एक मंच दिया। जो  मालवा के क्षेत्र में बोली जाने वाली एक हिंदी बोली है। वह उन अनेक लोगों में से एक थे। जिन्हें राष्ट्रकवि के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े एक राजनेता के रूप में वह 1968 में और फिर 1980 में मनासा से मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए। विभिन्न समय में, उन्होंने सूचना राज्य मंत्री, के रूप में कार्य किया। मध्य प्रदेश सरकार में भाषा एवं पर्यटन तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री। वह 1984 और 1989 के बीच मंदसौर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के सदस्य थे। वह  1998 से 2004 तक  मध्य प्रदेश से  राज्यसभा सांसद रहे।

राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी ने कई हिंदी कविताएँ लिखीं। और बच्चों के लिए प्रचुर मात्रा में लिखा। उनकी कविता "झर गए पात, बिसर गई टेहनी" को हिंदी कवियों द्वारा उत्कृष्ट कृति माना जाता है। उन्होंने कम से कम एक दर्जन हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे। जिनमें रेशमा और शेरा एवं अनकही सबसे प्रसिद्ध हैं। इनकी कविता ओजगुण सम्पन्न हैं। 

राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी मुख्य रचनाएँ : गौरव-गीत, दरद दीवानी, दो टूक, झर गए पात, बिसर गई टेहनी, चाँद में धब्बा, चाय बनाओ, आकाश, विश्वास, सारा देश हमारा, मेरे देश के लाल, खुद सागर बन जाओ, भावी रक्षक देश के, ताइवान आओ रे, आदि है।

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