कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जीवन परिचय | Kanhaiyalal Maneklal Munshi ka jeevan parichay | कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की लघु जीवनी हिंदी में |
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जीवन परिचय | Kanhaiyalal Maneklal Munshi ka jeevan parichay | केएम मुंशी की लघु जीवनी हिंदी में |
नाम: कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
उपनाम: घनश्याम व्यास, केएम मुंशी
जन्म: 30 दिसम्बर 1887 ई.
स्थान: भरूच, भारत
मृत्यु: 8 फ़रवरी 1971 ई.
स्थान: मुंबई, भारत
पत्नी: अतिलक्ष्मी पाठक, लीलावती सेठ
शिक्षा: एल.एल.बी. (वकालत)
शिक्षा: बडोदरा कॉलेज, मुम्बई विश्वविद्यालय
भाषा: गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी
पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, वकील, लेखक
शैली: पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक कथाएँ
स्थापित संगठन: भारतीय विद्या भवन कॉलेज,
प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, क़ानून विशेषज्ञ, साहित्यकार तथा शिक्षाविद
आंदोलन: होम रूल आंदोलन, बारदोली सत्याग्रह, नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आन्दोलन
रचनाएँ: नाटक:- ब्रह्मचर्याश्रम 1931, डॉ. मधुरिका 1936, पौराणिक नाटको,
उपन्यास:- मारी कमला 1912, वर्नी वासुलत 1913, पटन्नी प्रभुता 1916, गुजरातनो नाथ 1917, राजाधिराज 1918, पृथ्वीवल्लभ 1921, स्वप्नदिष्ट 1924, लोपामुद्रा 1930, जय सोमनाथ 1940, भगवान परशुराम 1946, तपस्विनी 1957, कोनो वांक, लोमहर्षिणी, भगवान कौटिल्य, प्रतिरोध 1900, कृष्णावतार,
गैर-काल्पनिक:- केटलक लेखो 1926, अदाधे रास्ते 1943,
👉भारतीय विद्या भवन के संस्थापक 1938
👉बॉम्बे स्टेट के गृहमंत्री 1937 से 1940 तक।
👉हैदराबाद राज्य के एजेन्ट-जनरल 1948
👉भारतीय संविधान सभा के सदस्य संसद सदस्य
👉कृषि एवं खाद्य मंत्री 1952 से 1953 तक।
👉उत्तर प्रदेश के दूसरे राज्यपाल 2 जून 1952 से 9 जून 1957 तक।
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का जीवन परिचय |
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे। मुंशी का जन्म 30 दिसंबर 1887 को ब्रिटिश भारत के गुजरात राज्य के एक शहर भरूच में हुआ था। मुंशी ने 1902 में बड़ौदा कॉलेज में प्रवेश लिया। और 'अम्बालाल सकरलाल परितोशिक' में प्रथम श्रेणी प्राप्त की। 1907 में अंग्रेजी भाषा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके उन्हें बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री के साथ 'एलिट पुरस्कार' प्राप्त हुआ। बाद में, उन्हें उसी विश्वविद्यालय से मानद उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने 1910 में मुंबई में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकील के रूप में पंजीकृत हुए । बड़ौदा कॉलेज में उनके प्रोफेसरों में से एक अरबिंदो घोष थे। जिनका उन पर गहरा प्रभाव था। मुंशी बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय, महात्मा गांधी, सरदार पटेल और भूलाभाई देसाई से भी प्रभावित थे।
केएम मुंशी ने 1900 में, उन्होंने अतिलक्ष्मी पाठक से शादी की। जिनकी 1924 में मृत्यु हो गई। 1926 में, उन्होंने लीलावती मुंशी से शादी की।
कन्हैयालाल मानेकलाल मुंशी जिन्हें उनके उपनाम घनश्याम व्यास के नाम से जाना जाता है। एक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन कार्यकर्ता थे। गुजरात राज्य के राजनीतिज्ञ, पेशे से वकील, बाद में वह लेखक और राजनीतिज्ञ बन गये। वह गुजराती साहित्य में एक जाना-माना नाम हैं । उन्होंने 1938 में एक शैक्षिक ट्रस्ट, भारतीय विद्या भवन की स्थापना की।
मुंशी ने अपनी रचनाएँ तीन भाषाओं गुजराती, अंग्रेजी और हिंदी में लिखीं। भारत की आजादी से पहले मुंशी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा थे। और आजादी के बाद वह स्वतंत्र पार्टी में शामिल हो गये । मुंशी ने भारत की संविधान सभा के सदस्य , भारत के कृषि और खाद्य मंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया । अपने बाद के जीवन में वह विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह विश्व संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक सम्मेलन बुलाने के समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक थे। मुंशी ने 1952 से 1957 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
मुंशी, उपनाम घनश्याम व्यास , गुजराती और अंग्रेजी में एक विपुल लेखक थे। वह यंग इंडिया के संयुक्त संपादक थे। और 1954 में उन्होंने भवन जर्नल की शुरुआत की, जो आज तक भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित किया जाता है। मुंशी गुजराती साहित्य परिषद और हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे।
केएम मुंशी के उपन्यास पृथ्वीवल्लभ पर दो बार इसी नाम से फिल्म बन चुकी है।1948 में उन्होंने महात्मा गांधी के बारे में गांधी: द मास्टर नामक पुस्तक लिखी।
केएम मुंशी की रचनाएँ: पौराणिक नाटको, ब्रह्मचर्याश्रम, कृष्णावतार, पटन्नी प्रभुता, गुजरातनो नाथ, राजाधिराज, पृथ्वीवल्लभ, मारी कमला, एक युग का अंत, बद्रीनाथ को, शाही गुजराती, मारी कमला, आदि।
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का मृत्यु 8 फ़रवरी 1971 को हुआ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें