राष्ट्रकवि एम गोविंदा पई का जीवन परिचय | M Govinda Pai ka jeevan parichay | मंजेश्वर गोविंदा पै की लघु जीवनी हिंदी में |


राष्ट्रकवि एम गोविंदा पई का जीवन परिचय | M Govinda Pai ka jeevan parichay | मंजेश्वर गोविंदा पै की लघु जीवनी हिंदी में | 

पुरानाम: मंजेश्वर गोविंदा पै 

उपनाम: एम. गोविंदा पई

जन्म: 23 मार्च 1883 ई.

मृत्यु: 6 सितंबर 1963 ई.

स्थान: मंजेश्वर, केरल

पिता: थिमप्पा पै

माता: देवकी अम्मा

पत्नी: कृष्णा बाई

पेशा: लेखक

पुरस्कार: राष्ट्रकवि पुरस्कार 1949, 

रचनाएँ: गिलिविन्दु, हृदयारंगा, नंददीप, हेब्बेरालु, चित्रभानु, वैशाखी, मन्निना सोगाडु, ताई, गोलगोथा, आदि ।

एम. गोविंदा पई का जीवन परिचय। 

गोविंदा पाई का जन्म 23 मार्च 1883 को कोंकणी गौड़ सारस्वत ब्राह्मण परिवार में उनके नाना के घर मंजेश्वर में हुआ था।वह मैंगलोर साहूकार थिमप्पा पई और देवकी अम्मा के पहले पुत्र थे। गोविंदा पई मिशन स्कूल गए। और फिर मैंगलोर के केनरा हाई स्कूल गए। कॉलेज की शिक्षा के लिए पई मद्रास चले गये। पिता की आकस्मिक मृत्यु के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। 

मंजेश्वर गोविंदा पै जिन्हें राष्ट्रकवि गोविंदा पै के नाम से भी जाना जाता है। एक  कन्नड़ कवि थे। उन्हें मद्रास सरकार द्वारा प्रथम राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रकवि एम. गोविंदा पई ही थे जिन्होंने मंजेश्वर को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर रखा था। गोविंदा पई एक प्रखर गद्य लेखक भी थे। गद्य में उनकी प्रारंभिक रचना श्रीकृष्ण चरित  1909 में की जो पढ़ने में उल्लेखनीय है।

वह कन्नड़ , कोंकणी और अंग्रेजी के अलावा तुलु, मलयालम, संस्कृत, तेलुगु ,  तमिल, मराठी, बंगाली, फारसी, पाली, उर्दू , ग्रीक और जापानी सहित 25 भाषाओं में धाराप्रवाह लिखने और पढ़ने में सक्षम थे। उन्होंने कई जापानी कृतियों का कन्नड़ में अनुवाद किया।

1949 में तत्कालीन मद्रास सरकार ने उन्हें राष्ट्रकवि पुरस्कार से सम्मानित किया। वह 1951 में बॉम्बे में कन्नड़ साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे। 

मंजेश्वर गोविंदा पै की रचनाएँ: गिलिविन्दु, हृदयारंगा, नंददीप, हेब्बेरालु, चित्रभानु, वैशाखी, मन्निना सोगाडु, ताई, आदि ।

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