केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय | Keshav Baliram Hedgewar ka jeevan parichay | डॉ॰ केशवराव बलिराम हेडगेवार की लघु जीवनी हिंदी में |
केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय | Keshav Baliram Hedgewar ka jeevan parichay | डॉ॰ केशवराव बलिराम हेडगेवार की लघु जीवनी हिंदी में |
नाम: केशव बलिराम हेडगेवार
उपनाम: डॉक्टर जी
जन्म: 1 अप्रैल 1889 ई.
स्थान: नागपुर, भारत
मौत: 21 जून 1940 ई.
स्थान: नागपुर, भारत
पिता: पंडित बलिराम पंत हेडगेवार,
माता: रेवतीबाई
शिक्षा: मैट्रिक, मेडिकल (डॉक्टरी),
प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी और 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के संस्थापक
जेल यात्रा: सन 1921 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और एक साल जेल में बिताया।
👉1925 में नागपुर में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवार ने संघ (RSS) की स्थापना की।
डॉ॰ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय।
केशव बलिराम हेडगेवार भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने अपना समूचा जीवन हिन्दू समाज व राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे। बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे। इनका जन्म 1 अप्रैल,1889 को नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जब वह महज 13 साल के थे। तभी उनके पिता पंडित बलिराम पंत हेडगेवार और माता 'रेवतीबाई' का प्लेग से निधन हो गया।
शुरुआती पढ़ाई नागपुर के नील सिटी हाईस्कूल में हुई। लेकिन एक दिन स्कूल में 'वंदे मातरम्' गाने की वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। तब उन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढाई पूना के नेशनल स्कूल में पूरी की। उसके बाद उनके भाइयों ने उन्हें पढ़ने के लिए यवतमाल और फिर पुणे भेजा। मैट्रिक के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. एस. मूंजे ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए सन 1910 में कलकत्ता भेज दिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1915 में नागपुर लौट आए। पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गये। और कुछ समय में विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव बन गये।
1920 में जब नागपुर में कांग्रेस का देश स्तरीय अधिवेशन हुआ तो डॉ॰ केशव राव बलीराम हेडगेवार ने कांग्रेस में पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता को लक्ष्य बनाने के बारे में प्रस्ताव प्रस्तुत किया तो तब पारित नही किया गया। 1921 में कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी और उन्हें एक वर्ष की जेल हुई। तब तक वह इतने लोकप्रिय हो चुके थे कि उनकी रिहाई पर उनके स्वागत के लिए आयोजित सभा को पंडित मोतीलाल नेहरु और हकीम अजमल खा जैसे दिग्गजों ने संबोधित किया।
डॉ॰ केशव राव बलीराम हेडगेवार के इसी चिन्तन एवं मंथन का प्रतिफल थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम से संस्कारशाला के रूप में शाखा पद्दति की स्थापना जो दिखने में साधारण किन्तु परिणाम में चमत्कारी सिद्ध हुई। इसी संस्था के माध्यम से वे अंग्रेजों को धूल चटाते रहे और भारत की आजादी की लड़ाई में सहयोग देते रहे।
1925 में विजयदशमी के दिन संघ कार्य की शुरुवात के बाद भी उनका कांग्रेस और क्रांतिकारीयो के प्रति रुख सकारात्मक रहा।
इसी तरह 1929 में जब लाहौर में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पूर्व स्वराज का प्रस्ताव पास किया गया और 26 जनवरी 1930 को देश भर में तिरंगा फहराने का आह्वान किया तो डॉ॰ हेडगेवार के निर्देश पर सभी संघ शाखाओं में 30 जनवरी को तिरंगा फहराकर पूर्ण स्वराज प्राप्ति का संकल्प किया गया। इसी तरह क्रान्तिकारियों से भी उनके संबध चलते रहे। जब 1928 में लाहौर में उप कप्तान सांडर्स की हत्या के बाद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव फरार हुए तो राजगुरु फरारी के दौरान नागपुर में डॉ॰ हेडगेवार के पास पहुचे थे जिन्होंने उमरेड में एक प्रमुख संघ अधिकारी भय्या जी ढाणी के निवास पर ठहरने की व्वयस्था की थी।
डॉ॰ केशवराव बलिराम हेडगेवार 1925 से 1940 तक, यानि मृत्यु पर्यन्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रहे। 21जून 1940 ई. को इनका नागपुर में निधन हुआ। इनकी समाधि रेशम बाग नागपुर में स्थित है। जहाँ इनका अंत्येष्टि संस्कार हुआ था।
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