गोपीनाथ बोरदोलोई का जीवन परिचय | Gopinath Bordoloi ka jeevan parichay | गोपीनाथ बोरदोलोई की लघु जीवनी हिंदी में |

 


गोपीनाथ बोरदोलोई का जीवन परिचय | Gopinath Bordoloi ka jeevan parichay | गोपीनाथ बोरदोलोई की लघु जीवनी हिंदी में | 

नाम: गोपीनाथ बोरदोलोई

जन्म: 6 जून 1890 ई.

स्थान: राहा, नगाँव, असम

मृत्यु: 5 अगस्त 1950 ई.

स्थान: गुवाहाटी, भारत

पिता: बुद्धेश्वर बोरदोलोई 

माता: प्रनेश्वरी बोरोदोलोई

पत्नी: सुरवला बोरदोलोई

शिक्षा: बी.ए., एम.ए., क़ानून

विद्यालय: कॉटन विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज

प्रसिद्धि: राजनीतिज्ञ

पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

पुरस्कार: भारत रत्न 1999 (मरणोपरान्त)

पेशा: राजनीतिज्ञ, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी

👉19 सितंबर 1938 से 17 नवंबर 1939 तक और 11 फरवरी 1946 से 5 अगस्त 1950 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। 

असम के प्रथम मुख्यमंत्री, गोपीनाथ बोरदोलोई का जीवन परिचय |

गोपीनाथ बोरदोलोई भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और असम के प्रथम  मुख्यमंत्री थे। इनका जन्म 6 जून 1890 को रहा नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम बुद्धेश्वर बोरदोलोई और माता का नाम प्रनेश्वरी बोरोदोलोई था। जब गोपीनाथ जी मात्र 12 वर्ष के थे इनकी माता का देहांत हो गया। 1907 में मेट्रिक पास करने के बाद इनको 'कॉटन कॉलेज' (इंग्लैंड के कॉटन में रोमन कैथोलिक बोर्डिंग स्कूल) में दाखिला मिल गया। उन्होने 1909 में प्रथम श्रेणी में आई. ऐ. पास किया। और जाने-माने स्कोत्तिश चर्च कॉलेज, कोलकाता में प्रवेश लिया और 1911 में स्नातक की डिग्री ली। 1914 में कोलकाता विश्वविद्यालय से ए. ऐ. किया। इन्होने तीन साल कानून की पढ़ाई की और बिना परीक्षा में बेठे ही वापस गुवाहाटी आ गए। और फिर तरुण राम फुकन के कहने पर सोनाराम हाई स्कूल में प्रिसिपल की अस्थाई नौकरी कर ली। उसी दौरान इन्होने क़ानून की परीक्षा दी और पास भी हुए। 1917 में गुवाहाटी में प्रक्टिस शुरू कर दी।

1930 से 1933 तक, उन्होंने खुद को सभी राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा और विभिन्न सामाजिक कार्यों में शामिल हो गए। 1932 में गुवाहाटी के नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष बने। 1936 में क्षेत्रीय विधानसभा चुनाव में भाग लेकर उन्होंने 38 सीटें जीतीं और विधानसभा में बहुमत सिद्ध किया। उन्होंने असम के लिए एक अलग विश्वविद्यालय और उच्च न्यायालय की मांग की। उनके प्रयत्नो से यह दोनों बातें सम्भव हुईं। 1939 में प्रदेश विधान सभाओं के लिए चुनाव में भाग लिया। और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीतकर असम के मुख्यमन्त्री बने। उसके बाद वे पूर्ण रूप से जनता के लिए समर्पित हो गए।

1941 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में भाग लेने के कारण इन्हें कारावास जाना पड़ा था। वर्ष 1942 में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में भागीदारी के कारण गोपीनाथ बोरदोलाई को पुन: सज़ा हुई। उन्होंने राज्य के औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया। और गौहाटी में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना करवायी। असम के लिए उन्होंने जो उपयोगी कार्य किए। उनके कारण वहाँ की जनता ने उन्हें ‘लोकप्रिय’ की उपाधि दी थी।

गोपीनाथ बोरदोलोई ने भारत की स्वतंत्रता के बाद उन्होने सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ नजदीक से कार्य किया। उनके योगदानों के कारण असम चीन और पूर्वी पाकिस्तान से बच के भारत का हिस्सा बन पाया। वे 19 सितंबर 1938 से 17 नवंबर 1939 तक और 11 फरवरी 1946 से 5 अगस्त 1950 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। 

गोपीनाथ बोरदोलोई के नेतृत्व में असम प्रदेश में नवनिर्माण की पक्की आधारशिला रखी गई थी। इसलिए उन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा जाता है। 5 अगस्त 1950 में जब वे 60 वर्ष के थे। तब उनका गुवाहाटी में मृत्यु हो गया। असम के लोग आज बड़े प्यार से गोपीनाथ बोरदोलोई को शेर-ए-असम के नाम से पुकारते हैं। उन्हें सन् 1999 में मरणोपरांत 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।

टिप्पणियाँ

Read more

भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की संक्षिप्त जीवनी छवि।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय।

भारतेन्दु हरिश्चंद्र का जीवन

महान भारतीय वैज्ञानिक सी एन आर राव के पुरस्कार | Indian Scientist CNR Rao Award |