गोपीनाथ साहा का जीवन परिचय | Gopinath Saha ka jeevan parichay | शहीद गोपीनाथ साहा की लघु जीवनी हिंदी में |
गोपीनाथ साहा का जीवन परिचय | Gopinath Saha ka jeevan parichay | शहीद गोपीनाथ साहा की लघु जीवनी हिंदी में |
नाम: गोपीनाथ साहा
उपनाम: गोपी मोहन साहा
जन्म: 16 दिसंबर 1905 ई.
मृत्यु: 1 मार्च 1924 ई.
स्थान: श्रीरामपुर, बंगाल, भारत
प्रसिद्धि: क्रांतिकारी
गोपीनाथ साहा का जीवन परिचय |
गोपीनाथ साहा या गोपी मोहन साहा पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। वे 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के सदस्य थे। वे भारत के अमर क्रांतिकारियों की श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इनका जन्म 16 दिसंबर 1905 श्रीरामपुर शहर के हुगली ज़िले में हुआ था। जिसका पूर्व नाम अविभाजित बंगाल का सेरामपुर था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे 'युगान्तर पार्टी' की ओर आकर्षित हुए। उनकी आरंभ से ही राजनीतिक कार्यकलापों में ही रुचि रही। बाद में वे क्रांतिकारी गतिविधियों से सक्रिय रूप से जुड़ गए थे। असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया तथा अनेक बार जेल भी गए। गोपीनाथ साहा ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए एक बंगाली कार्यकर्ता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सदस्य थे। 12 जनवरी 1924 को, उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलनों के खिलाफ लड़ाई में एक नेता और कलकत्ता पुलिस के जासूसी विभाग के तत्कालीन प्रमुख चार्ल्स टेगार्ट की हत्या का प्रयास किया। साहा का प्रयास विफल हो गया। क्योंकि उन्होंने गलती से 'अर्नेस्ट डे' को मार डाला। जो एक श्वेत नागरिक था जो आधिकारिक व्यवसाय से वहां गया था। गोपीनाथ साहा को गिरफ्तार किया गया। उन पर मुकदमा चलाया गया। और 1 मार्च 1924 को अलीपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई । और एक साहसी वीर देश के लिए 23 वर्ष की आयु में शहीद हो गया। फाँसी के तख्ते पर वह प्रसन्न मुद्रा में पहुँचा। काल-कोठरी से लाने से कुछ क्षण पहले ही उन्होंने अपनी माँ को पत्र लिखा था- "तुम मेरी माँ हो, यही तुम्हारी शान है। काश! भगवान हर व्यक्ति को ऐसी माँ दे जो ऐसे साहसी सपूत को जन्म दे।" गोपीनाथ साहा ने जितने साहस और संकल्प से अपना बलिदान दिया इतिहास में उनका उल्लेख उतना ही कम है । शत शत नमन् ऐसे वीर क्राँतिकारी को।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें