चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय | Chakravarti Rajagopalachari ka jeevan parichay | सी. राजगोपालाचारी की लघु जीवनी हिंदी में |


चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय | Chakravarti Rajagopalachari ka jeevan parichay | सी. राजगोपालाचारी की लघु जीवनी हिंदी में |

उपनाम: सी. राजगोपालाचारी, सी.आर, राजाजी

नाम: चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

जन्म: 10 दिसम्बर 1878 ई.

स्थान: थोरापल्ली, भारत 

मृत्यु: 25 दिसम्बर 1972 ई.

स्थान: मद्रास, भारत

पिता: नलिन चक्रवर्ती

पत्नी: अलामेलु मंगम्मा

शिक्षा: बी.ए, वकालत

विद्यालय: बैंगलोर विश्वविद्यालय, प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास

भाषा: हिन्दी, तमिल और अंग्रेज़ी

पुरस्कार : भारत रत्न

पेशा: वकील, लेखक, राजनेता, स्वतन्त्रता सेनानी

पार्टी: स्वतंत्र पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 

पद: भूतपूर्व उद्योग मंत्री, मद्रास के  मुख्यमंत्री, बंगाल के राज्यपाल, गवर्नर जनरल

प्रसिद्धि: स्वतन्त्रता सेनानी, क्रान्तिकारी, पत्रकार, समाजसुधारक, शिक्षा विशेषज्ञ

👉मद्रास के मुख्यमंत्री 14 जुलाई 1937 से 9 अक्टूबर 1939 तक और 10 अप्रैल 1952 से 13 अप्रैल 1954 तक।

👉भारत गणराज्य के गृह मंत्री 26 दिसम्बर 1950 से 25 अक्तूबर 1951 तक।

👉पश्चिम बंगाल प्रथम के राज्यपाल 15 अगस्त 1947 से 21 जून 1948 तक।

👉भारत के प्रथम तथा अंतिम गवर्नर-जनरल 21 जून 1948 से 26 जनवरी 1950 तक।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय।

भारतीय राजनेता, लेखक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जिन्हें राजाजी  या सी.आर के नाम से जाना जाता है। जिन्हें मुथरीगनर राजाजी  के नाम से भी जाना जाता है। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर, 1878 को  तमिलनाडु (मद्रास) के सेलम ज़िले के होसूर के पास 'धोरापल्ली' नामक गांव में हुआ था। एक वैष्णव ब्राह्मण परिवार में जन्मे चक्रवर्ती जी के पिता का नाम श्री नलिन चक्रवर्ती था। जो सेलम के न्यायालय में न्यायधीश के पद पर कार्यरत थे।राजगोपालाचारी ने 1897 में अलामेलु मंगलम्मा से शादी की, उन्होंने बैंगलोर के सैंट्रल कॉलेज से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बी.ए. और वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की। वकालत की डिग्री पाने के पश्चात् वे 1900 के दशक में उन्होंने सेलम कोर्ट में कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। राजनीति में प्रवेश करने पर, वह 1911 में सेलम नगरपालिका के सदस्य और बाद में 1917 में अध्यक्ष बने। महात्मा गांधी के शुरुआती राजनीतिक लेफ्टिनेंटों में से एक, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। और रॉलेट एक्ट के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया। असहयोग आंदोलन, वाईकोम सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए । 1930 में, राजगोपालाचारी ने दांडी मार्च के जवाब में वेदारण्यम नमक सत्याग्रह का नेतृत्व करते हुए कारावास का जोखिम उठाया। 

1937 में, राजगोपालाचारी मद्रास प्रेसीडेंसी के प्रधान मंत्री चुने गए। 1946 में, राजगोपालाचारी को भारत की अंतरिम सरकार में उद्योग, आपूर्ति, शिक्षा और वित्त मंत्री नियुक्त किया गया और फिर 1947 से 1948 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल , 1948 से 1950 तक भारत के गवर्नर-जनरल थे। राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल भी थे। क्योंकि 1950 में जब भारत गणतंत्र बना तो कार्यालय को समाप्त कर दिया गया था। 1951 से 1952 तक केंद्रीय गृह मंत्री और 1952 से 1954 तक मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया । 1959 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। और स्वतंत्र पार्टी की 1959 में स्थापना की, राजगोपालाचारी ने सी.एन अन्नादुरई के नेतृत्व में मद्रास राज्य में एक संयुक्त कांग्रेस विरोधी मोर्चा स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसने 1967 के चुनावों में जीत हासिल की। ​​उन्हें 'सलेम का आम' उपनाम भी मिला। उन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया।

भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले राजा जी को 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत रत्न पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। वह विद्वान और अद्भुत लेखन प्रतिभा के धनी थे। जो गहराई और तीखापन उनके बुद्धिचातुर्य में था। वही उनकी लेखनी में भी 'गीता' और 'उपनिषदों' पर उनकी टीकाएं प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा रचित चक्रवर्ति तिरुमगन के लिये उन्हें सन् 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी अपनी वेशभूषा से भी भारतीयता के दर्शन कराने वाले इस महापुरुष का 25 दिसम्बर 1972 को निधन हो गया।


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