तरुण राम फुकन का जीवन परिचय | Tarun Ram Phukan ka jeevan parichay | तरुण राम फुकन की लघु जीवनी हिंदी में |


तरुण राम फुकन का जीवन परिचय | Tarun Ram Phukan ka jeevan parichay | तरुण राम फुकन की लघु जीवनी हिंदी में |

नाम: तरुण राम फुकन

जन्म: 22 जनवरी 1877 ई.

मृत्यु: 28 जुलाई 1939 ई.

स्थान: गुवाहाटी, भारत

शिक्षा: वकालत

विद्यालय: प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय कोलकाता,

👉1921 में गांधी जी की असम प्रदेश यात्रा में वे पूरे समय उनके साथ रहे थे।

👉भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए तरुण राय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया।

तरुण राम फुकन का जीवन परिचय |

तरुण राम फुकन जिन्हें फूकुन भी कहा जाता है। असम के एक प्रमुख नेता एवं भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थे जो 'देशभक्त' के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे।

तरुण राम फुकन का जन्म 1877 में असम के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने कॉटन कॉलेजिएट स्कूल, गुवाहाटी और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की। बाद में, वे 1901 में लंदन के इनर टेम्पल से बार में चले गए । उन्होंने एक वकील के रूप में शिक्षा प्राप्त की।लेकिन गुवाहाटी में अर्ल लॉ कॉलेज में व्याख्याता के रूप में भी काम किया। उनकी वकालत का यह क्रम अधिक दिनों तक नहीं चल सका। और वे वकालत छोड़कर कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। गांधी जी का उनके जीवन पर पूरी तरह से गहरा प्रभाव पड़ा था।

1920 तक असम एसोसिएशन नामक एक राजनीतिक संगठन के प्रमुख सदस्य थे। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की असम शाखा के गठन में फूकन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इसके पहले अध्यक्ष चुने गए। जब ​​असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। तो फूकन ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई और महात्मा गांधी का संदेश लेकर असम के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया । असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें 1921 में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। तरुण राम फुकन 1926 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पांडु अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष बने। उन्होंने गुवाहाटी के नगरपालिका बोर्ड और स्थानीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाए। उन्होंने गुवाहाटी में एक कुष्ठ रोगी आश्रम की स्थापना की। वह एक महान वक्ता और एक प्रमुख लेखक भी थे। उन्होंने 1927 में असम के ग्वालपाड़ा अधिवेशन में असम साहित्य सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जो असम में एक प्रमुख साहित्यिक संगठन था। उन्होंने 1928 में असम छात्र सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने गुवाहाटी में पहली साइकिल और पहली मोटर कार भी खरीदी। महात्मा गांधी को जनता के बीच असहयोग के संदेश का प्रचार करने के लिए असम आमंत्रित किया। महात्मा गांधी की यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को असहयोग आंदोलन चलाने और स्वदेशी के सिद्धांतों को लागू करने के लिए जबरदस्त प्रोत्साहन दिया। सामाजिक सौहार्द्र के समर्थक, अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं की समानता के पक्षधर तरुण राम फुकन की मृत्यु 1939 में हुआ। असम सरकार ने 2021 में फुकन की पुण्यतिथि को हर साल देश भक्ति दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। 

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