धन सिंह गुर्जर का जीवन परिचय | dhan singh gurjar ka jeevan parichay |
धन सिंह गुर्जर का जीवन परिचय | dhan singh gurjar ka jeevan parichay |
धन सिंह गुर्जर का जीवन परिचय | dhan sinh gurjar ka jeevan parichay |
धन सिंह गुर्जर का जीवन परिचय
कोतवाल धन सिंह गुर्जर एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और 1857 के महान क्रांतिकारी एवं शहीद थे। इनका जन्म 1820 में हुआ था | 10 मई 1857 को मेरठ में क्रान्ति में धन सिंह गुर्जर है।
मेरठ क्रान्ति का प्रारम्भ और आरम्भ 10 मई 1857 को हुआ था। क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है। उस दिन मेरठ में धनसिंह के नेतृत्व मे विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश, देहरादून, दिल्ली, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी, पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गुर्जर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण गुर्जर मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस प्रमुख थे। १० मई १८५७ को धन सिंह ने की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात २ बजे जेल तोड़कर ८३६ कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था सब नष्ट कर चुकी थी। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया।
इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, और सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गुर्जर है इसलिए उसने गुर्जरो की भीड को नहीं रोका और उन्हे खुला संरक्षण दिया। इसके बाद घनसिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।
मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः 4 बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपों से हमला किया। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों गुर्जर किसान मारे गए। जो बच गए उनको कैद कर फांसी की सजा दे दी गई। आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक "स्वाधीनता आन्दोलन" और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी दे दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दशहरा नहीं मनाया जाता।
मेरठ विश्वविद्यालय के एक कैम्पस का नाम महान क्रन्तिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नाम पर रखा गया हैं।
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