नरसिंह चिंतामण केलकर का जीवन परिचय | narasimha chintaman kelkar ka jivan parichay |
नरसिंह चिंतामण केलकर या तात्यासाहेब केलकर का जीवन परिचय | Tatyasaheb Ketkar ka jeevan parichay |
नाम: नरसिंह चिंतामण केलकर
उपनाम: साहित्यसम्राट तात्यासाहेब केळकर
जन्म: 24 अगस्त 1872 ई.मिराज,महाराष्ट्र
मृत्यु: 14 अक्टूबर 1947 ई. पुणे,भारत
शिक्षा: डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, राजाराम कॉलेज
व्यवसाय: राजनीतिज्ञ, वकील, संपादक, उपन्यासकार, इतिहासकार
राजनीतिक दल: हिंदू महासभा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
साहित्यिक रचनाएं:- खेल: सरोजिनी 1901, चंद्रगुप्त 1913, टोटायाचे बैंड 1913, कृष्णार्जुन यद्ध 1915, संत भानुदास 1919, उपन्यास: अंधर्वद 1928, बलिदान 1937, कोकांचा पोर 1942, लघु कथाएँ: कुशा विशी अनी इतर गोष्ठी 1950, कविता: काव्योपहार 1927, पद्यगुच्छा 1936, इतिहास: मराठे वा इंग्रज 1918, इतिहास विहार 1926, फ्रांसीसी राज्यक्रांति 1937, दर्शन: गवरन गीता 1944, ज्ञानेश्वरी सर्वस्व 1946, राजनीतिक लेखन: भारतीय स्वशासन का मामला 1917
नरसिंह चिंतामण केलकर या तात्यासाहेब केलकर का जीवन परिचय |
एक उल्लेखानीय साहित्यकार थे जिन्हें 'साहित्य-सम्राट' की उपाधि से अलंकृत किया गया था। ये केसरी-महारत्त समाचार-पत्र के ४१ वर्षों तक संपादक रहे थे। इसके साथ ही ये केसरी न्यास के न्यासी भी थे।
नरसिंह चिंतामणि केलकर का जन्म 24 अगस्त 1872 मिराज, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था। हाईस्कूल और कालेज में उन्होने अंग्रेजी एवं संस्कृत साहित्य का विशेष अध्ययन किया और उनकी साहित्यिक प्रतिभा पल्लवित हुई। बी ए , एल-एल, बी होने के पश्चात् वे लोकमान्य तिलक के अंग्रेजी समाचार पत्र मराठा के संपादक हुए। इस प्रकार सन् 1947 तक वे मराठा, केसरी तथा मासिकपत्र जैसे लोकप्रिय एवं प्रौढ़ समाचारपत्रों के संपादक रहे।
वे न केवल व्यवसायी संपादक वरन् सव्यसाची साहित्यिक भी थे। संपादन करते हुए उन्होंने मालाकार चिपलूणकर की प्रौढ़ निबंधशैली का उत्कर्ष किया। इन्होंने निबंध, जीवनी, नाटक, इतिहास, साहित्यशास्त्र, उपन्यास, विनोद, यात्रावर्णन आदि अनेक साहित्यरूपों में अपनी प्रौढ़ कृतियों द्वारा अच्छा योग दिया।
इन्होंने कला स्नातक व विधि स्नातक किया था। बाद में इन्होंने सतारा में वकालत की। इनको बालगंगाधर तिलक द्वारा 1869 में मुंबई बुलाया गया था। 1916 में इन्होंने तिलक के साठवें जन्मदिवस के आयोजन के लिए सक्रिय भाग लिया, व एक लाख रुपए का चंदा जमा किया। 1920 में तिलक की मृत्यु उपरांत कांग्रेस में तिलक समर्थकों के अग्रणी रहे। ये 1924 से 1929 तक वाइसरॉय परिषद के सदस्य भी रहे थे। 1928 में जबलपुर और 1932 में ये अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
तात्यासाहेब केलकर सफल समीक्षक भी थे। इन्होंने लगभग सौ भिन्न प्रकार के ग्रंथों के मार्मिक परिचय लिखे और बीसों ग्रंथों की उद्बोधक समालोचनाएँ कीं। वे मराठी के दूसरे साहित्यसम्राट कहे जाते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार इन्होंने देश सेवा में भी योग दिया।
14 अक्टूबर 1947 ईस्वी में भारत के पुणे, इनका निधन हुआ।
नरसिंह चिंतामण केलकर या तात्यासाहेब केलकर की रचित पुस्तकें, अमात्य माधव (नाटक), आयर्लंदचा इतिहास, कृष्णार्जुनयुद्ध (नाटक), कोकणचा पोर (उपन्यास), ग्यारीबाल्डीचे चरित्र, चंद्रगुप्त (नाटक), तोतयाचे बंड (नाटक), नवरदेवाची जोडगोळी (नाटक?), बलिदान (उपन्यास), भारतीय तत्त्वज्ञान (वैचारिक), मराठे आणि इंग्रज (ऐतिहासिक), लोकमान्यांचे चरित्र (२ खण्ड) -चरित्रलेखन, वीर विडंबन (नाटक), संत भानुदास (नाटक),सरोजिनी (नाटक), सुभाषित आणि विनोद, हास्य विनोद मीमांसा (ललित), ज्ञानेश्वरी सर्वस्व आदि है।
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