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दुर्गावती देवी का जीवन परिचय | durga bhabhi ka jeevan parichay | दुर्गा भाभी की लघु जीवनी हिंदी में |

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दुर्गावती देवी का जीवन परिचय | दुर्गा भाभी का जीवन परिचय | दुर्गा भाभी की लघु जीवनी हिंदी में | पूरानाम: दुर्गावती देवी उपनाम: दुर्गा भाभी  जन्म: 7 अक्टूबर 1907 ई.  स्थान: उतर प्रदेश, उत्तर प्रदेश मृत्यु: 15 अक्टूबर 1999 ई. स्थान: गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पिता : पंडित बांके बिहारी फ़्लै: भगवती चरण बोहरा  पेशा: क्रांतिकारी अंतिम: भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन संगठन: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन, हिंदुस्थान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन दुर्गा भाभी का जीवन परिचय | दुर्गावती देवी जिन्हें दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता है। एक भारतीय क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थीं। दुर्गा भाभी  भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं। 18 दिसंबर 1928 को भगत सिंह ने इन्ही दुर्गा भाभी के साथ वेश बदल कर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। दुर्गाभाभी क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की धर्मपत्नी थीं। दुर्गा भाभी का जन्म सात अक्टूबर 1907 को शहजादपुर ग्राम अब कौशाम्बी जिला में पंडित बांके बिहारी के यहां ह...

दिनशा वाचा का जीवन परिचय | Dinsha Edulji Wacha ka jeevan parichay | दिनशा एडुल्जी वाचा की लघु जीवनी हिंदी में |

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दिनशा वाचा का जीवन परिचय | दिनशा एडुल्जी वाचा का जीवन परिचय | दिनशा एडुल्जी वाचा की लघु जीवनी हिंदी में |  पूरा नाम: दिनशो एडुल्जी वाचा नाम: दिनशा वाचा  जन्मः 1844 ई. स्थान: मुंबई, भारत मृत्यु : 1936 ई. शिक्षा: एल्फिंस्टन कॉलेज पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्थापित संगठन: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दिनशा वाचा का जीवन परिचय |  सर दिनशॉ एडुल्जी वाचा जिन्हें दिनशा वाचा के नाम से भी जाना जाता है। बम्बई (मुंबई) के एक पारसी शख्स थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य से एक थे। वाचा 1901 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। दिनशा इडल्जी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले मुंबई के तीन प्रमुख पारसी नेता में से एक थे। शुरुआत से ही कांग्रेस से जुड़े हुए। दिनशा 13 वर्ष तक यह संगठन विद्यमान रहा। और 1901 में कोलकाता कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, फ़िरोज़शाह मेहता और दादा भाई नौरोजी के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने भारत की ग़रीबी और ग़रीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए। धन के प्...

वीणा दास का जीवन परिचय | Veena Das ka jeevan parichay | वीणा दास की लघु जीवनी हिंदी में |

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वीणा दास का जीवन परिचय | Veena Das ka jeevan parichay | वीणा दास की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: वीणा दास जन्म: 24 अगस्त 1911ई. स्थान: कृष्णनगर, भारत मृत्यु: 26 दिसम्बर 1986 ई. स्थान: ऋषिकेश, उत्तराखंड पिता: बेनी माधव दास माता: सरला दास शिक्षा: बेथ्यून कॉलेज, सेंट जॉन्स डायोसेसन गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी पुस्तकें: बीना दास: एक संस्मरण पुरस्कार: पद्म श्री पुरस्कार जेल यात्रा:'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय बीना दास को तीन वर्ष के लिये नज़रबन्द कर लिया गया था। 👉1946 से 1951 तक बीना दास बंगाल विधान सभा की सदस्य रही थीं। 👉बीना दास ने पुण्याश्रम संस्था' की स्थापना की। वीणा दास का जीवन परिचय |  वीणा दास बंगाल की भारतीय क्रान्तिकारी और राष्ट्रवादी महिला थीं। 6 फरवरी 1932 को उन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक दीक्षान्त समारोह में अंग्रेज़ क्रिकेट कप्तान और बंगाली गर्वनर स्टनली जैक्शन की हत्या का प्रयास किया था। क्रान्तिकारी बीना दास का जन्म 24 अगस्त, 1911 को ब्रिटिश कालीन बंगाल के कृष्णानगर मे...

दादा वासवानी का जीवन परिचय | Dada Vaswani ka jeevan parichay | जशन पहलाज राय वासवानी की लघु जीवनी हिंदी में |

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दादा वासवानी का जीवन परिचय | Dada Vaswani ka jeevan parichay | जशन पहलाज राय वासवानी की लघु जीवनी हिंदी में | पूरानाम: जशन पहलाजराय वासवानी नाम: दादा वासवानी जन्म: 2 अगस्त 1918 ई. स्थान: सिंध, ब्रिटिश भारत मृत्यु: 12 जुलाई 2018 ई. स्थान: पुणे महाराष्ट्र, भारत पिता: पहलाज राय  माता: कृष्णा देवी  गुरु: साधु वासवानी सम्मान: यू थांट शांति पुरस्कार दादा वासवानी का जीवन परिचय |  जशन पहलाजराय वासवानी जिन्हें दादा वासवानी के नाम से जाना जाता है। एक भारतीय आध्यात्मिक नेता थे। उन्होंने  शाकाहार और पशु अधिकारों को बढ़ावा दिया। और अपने गुरु, साधु वासवानी द्वारा स्थापित साधु वासवानी मिशन में आध्यात्मिक प्रमुख थे।  मिशन, एक गैर-लाभकारी संगठन है। जिसका मुख्यालय भारत के पुणे में है। जिसके दुनिया भर में केंद्र हैं। वासवानी ने सिंधी और अंग्रेजी में लगभग 150 स्व-सहायता पुस्तकें लिखी हैं। दादा वासवानी का जन्म 2 अगस्त 1918 को हैदराबाद, सिंध में कृष्णादेवी और पहलाजराय वासवानी के घर हुआ था। उनके पिता ...

दादाभाई नौरोजी का जीवन परिचय | Dadabhai Naoroji ka jeevan parichay | दादाभाई नौरोजी की लघु जीवनी हिंदी में |

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दादाभाई नौरोजी का जीवन परिचय | Dadabhai Naoroji ka jeevan parichay | दादाभाई नौरोजी की लघु जीवनी हिंदी में |   नाम: दादाभाई नौरोजी जन्म: 4 सितम्बर 1825 ई. स्थान:  नवसारी, भारत मृत्यु: 30 जून 1917 ई. स्थान: मुंबई, भारत पिता: नौरोजी पालंजी डोरडी माता: मानेकबाई नौरोजी पत्नी: गुलबाई शिक्षा: एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई विश्वविद्यालय पेशा: भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षक, लेखक पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रसिद्ध: भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन नारा: स्वराज्य स्थापित संगठन: ईस्ट इंडिया एसोसिएशन, पाकिस्तान नेशनल कांग्रेस, लंदन इंडियन सोसाइटी, जोरास्ट्रियन ट्रस्ट फंड्स ऑफ यूरोप पूर्व पद: यूनाइटेड किंगडम के संसद सदस्य 1892 से 1895 तक। 👉भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सह-संस्थापक और दूसरे, नौवें और 22वें अध्यक्ष 1886 से 1887 तक। दादाभाई नौरोजी का जीवन परिचय | दादाभाई नौरोजी जिन्हें "भारत के महापुरुष" और "भारत के अनौपचारिक राजदूत" के नाम से भी जाना जाता है। एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक नेता, व्यापारी, विद्वान औ...

दादा धर्माधिकारी का जीवन परिचय |Dada Dharmadhikari ka jeevan parichay | शंकर त्रिम्बक धर्माधिकारी की लघु जीवनी हिंदी में |

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  दादा धर्माधिकारी का जीवन परिचय |Dada Dharmadhikari ka jeevan parichay | शंकर त्रिम्बक धर्माधिकारी की लघु जीवनी हिंदी में |   नाम: दादा धर्माधिकारी जन्म: 18 जून 1899 ई. स्थान: बैतूल ज़िला, मध्य प्रदेश मृत्यु: 1 दिसंबर, 1985 ई. स्थान: सेवाग्राम, भारत भाषा: हिन्दी, संस्कृत, बंगला, अंग्रेज़ी  प्रसिद्धि: स्वतन्त्रता सेनानी तथा लेखक रचनाएँ:- अहिंसक क्रांति की प्रक्रिया, क्रांतिशोधक, गांधीजी की दृष्टी अगला कदम, युवा और क्रांति, समग्र सर्वोदय दर्शन, नये युग की नारी, प्रिय मुली, तरुणाई, आदि। जेल यात्रा: 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान इन्हें गिरफ़्तार किया गया था। 👉दादा धर्माधिकारी 'गांधी सेवा संघ' के सक्रिय कार्यकर्ता थे। 'भारत छोड़ो आन्दोलन' की गिरफ्तारी से छूटने पर वे मध्य प्रदेश असेम्बली के सदस्य और संविधान परिषद के सदस्य चुने गए थे। दादा धर्माधिकारी का जीवन परिचय | शंकर त्र्यंबक धर्माधिकारी जिन्हें दादा धर्माधिकारी के नाम से जाना जाता है। एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलनों के न...

तुर्रेबाज़ खान का जीवन परिचय | Turrebaz Khan ka jeevan parichay | तुर्रेबाज़ खान की लघु जीवनी हिंदी में |

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तुर्रेबाज़ खान का जीवन परिचय | Turrebaz Khan ka jeevan parichay | तुर्रेबाज़ खान की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: तुर्रेबाज़ खान जन्म: बेगम बाज़ार, हैदराबाद, भारत मृत्यु: 1857 ई. हैदराबाद, भारत प्रसिद्ध: हैदराबाद में 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व करना। तुर्रेबाज़ खान का जीवन परिचय | तुर्रेबाज़ खान एक भारतीय क्रांतिकारी है। जो 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान  हैदराबाद राज्य में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर श्हीद हो गये। तुर्रेबाज़ खान का जन्म वर्तमान  हैदराबाद जिले के बेगम बाज़ार में हुआ था। तुर्रम खां का असली नाम तुर्रेबाज़ खान था। उन्होंने सत्तारूढ़ निज़ाम के विरोध के बावजूद अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह किया। बेगम बाज़ार में उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। तुर्रेबाज़ खान दक्कन के इतिहास में एक वीरतापूर्ण व्यक्ति थे। जो अपने साहस के लिए जाना जाता थे। वह एक क्रांतिकारी व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। सन 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के दौरान, इस...

तात्या टोपे का जीवन परिचय | Tatya Tope ka jeevan parichay | तात्या टोपे की लघु जीवनी हिंदी में |

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तात्या टोपे का जीवन परिचय | Tatya Tope ka jeevan parichay | तात्या टोपे की लघु जीवनी हिंदी में | पूरानाम: रामचंद्र पांडुरंग टोपे नाम: तात्या टोपे उपनाम: बुंदेलखंड का शेर जन्म: 16 फरवरी 1814 ई. स्थान: नाशिक, महाराष्ट्र, भारत मृत्यु: 18 अप्रैल 1859 ई. स्थान: शिवपुरी, मध्य प्रदेश, भारत मृत्यु का कारण: फाँसी द्वारा मृत्युदंड पिता: पांडुरंग रावभट्ट़ माता: रुखमा बाई  प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी आन्दोलन: प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 👉पेशवा की सेना का जनरल 1856 से 6 दिसम्बर 1857 तक। 👉तात्या टोपे ने 'पढ़ो और फिर लड़ो' का नारा दिया था। 👉भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई तथा नाना साहब का प्रमुख योगदान था। तात्या टोपे का जीवन परिचय। तात्या टोपे 1857 के भारतीय विद्रोह में एक उल्लेखनीय कमांडर थे। तात्या का जन्म 16 फरवरी 1814 में महाराष्ट्र में नाशिक के निकट येवला नामक गाँव में एक देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव ...

तरुण राम फुकन का जीवन परिचय | Tarun Ram Phukan ka jeevan parichay | तरुण राम फुकन की लघु जीवनी हिंदी में |

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तरुण राम फुकन का जीवन परिचय | Tarun Ram Phukan ka jeevan parichay | तरुण राम फुकन की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: तरुण राम फुकन जन्म: 22 जनवरी 1877 ई. मृत्यु: 28 जुलाई 1939 ई. स्थान: गुवाहाटी, भारत शिक्षा: वकालत विद्यालय: प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय कोलकाता, 👉1921 में गांधी जी की असम प्रदेश यात्रा में वे पूरे समय उनके साथ रहे थे। 👉भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए तरुण राय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया। तरुण राम फुकन का जीवन परिचय | तरुण राम फुकन जिन्हें फूकुन भी कहा जाता है। असम के एक प्रमुख नेता एवं भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थे जो 'देशभक्त' के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। तरुण राम फुकन का जन्म 1877 में असम के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने कॉटन कॉलेजिएट स्कूल, गुवाहाटी और प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की। बाद में, वे 1901 में लंदन के इनर टेम्पल से बार में चले गए । उन्होंने एक वकील के रूप में शिक्षा प्राप्त की।लेकिन गुवाहाटी में अर्ल लॉ कॉलेज में व्याख्याता के रूप में भी का...

ठाकुरदास बंग का जीवन परिचय | Thakurdas Bang ka jeevan parichay | ठाकुरदास बंग की लघु जीवनी हिंदी में |

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ठाकुरदास बंग का जीवन परिचय | Thakurdas Bang ka jeevan parichay | ठाकुरदास बंग की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: ठाकुरदास बंग जन्म: 1917 ई. महाराष्ट्र, भारत मृत्यु: 27 जनवरी 2013 ई. स्थान: वर्धा, भारत ठाकुरदास बंग का जीवन परिचय | ठाकुरदास बंग गांधीवादी दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री थे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। वे खादी तथा सर्वोदय आन्दोलनों में सक्रिय रहे। ठाकुरदास बंग का जन्म 1917 में महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गनोरी गांव में हुआ था। और वे महात्मा गांधी के एक सहयोगी द्वारा शुरू किए गए कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए। वे वर्धा जिले में रहते थे। जो गांधी के आश्रम सेवाग्राम से कुछ मील दूर था। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और दो साल तक जेल में रहे। उन्होंने इसे भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए छात्रों को तैयार करने का अपना सबसे बड़ा अवसर माना। अमेरिका में अर्थशास्त्री के रूप में अपना करियर बनाने का फैसला करने पर, बंग महात्मा गांधी से आशीर्वाद लेना चाहते थे। आश्रम में आने का कारण बत...