संदेश

छोटूराम का जीवन परिचय | Chhotu Ram ka jeevan parichay | छोटूराम की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
  छोटूराम का जीवन परिचय | Chhotu Ram ka jeevan parichay | छोटूराम की लघु जीवनी हिंदी में | मूलनाम: राय रिछपाल  नाम: छोटूराम जन्म: 24 नवम्बर 1881 ई. स्थान: रोहतक, हरियाणा मृत्यु: 9 जनवरी 1945 ई. स्थान: पंजाब, ब्रिटिश भारत पिता: सुखीराम माता: हरकी देवी शिक्षा: आगरा कॉलेज आगरा, सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, पार्टी: यूनियनिस्ट पार्टी प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनीतिज्ञ 👉 7 सितम्बर 1913 में जाट स्कूल की स्थापना हुई। 👉कर्जा माफी ऐक्ट 1934 👉साहूकार पंजीकरण ऐक्ट 1938 👉गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी ऐक्ट 1938 👉कृषि उत्पाद मंडी ऐक्ट 1938 👉व्यवसाय श्रमिक ऐक्ट 1940 छोटूराम का जीवन परिचय |  छोटूराम या राम रिछपाल का जन्म 24 नवम्बर 1881 में रोहतक हरियाणा के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। अपने भाइयों में वे सबसे छोटे थे। इसलिए परिवार के लोग उन्हें 'छोटू' कहकर पुकारते थे। स्कूल के रजिस्टर में भी उनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया। और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही ...

चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव का जीवन परिचय | Chaudhary Brahm Prakash Yadav ka jeevan parichay | चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव का जीवन परिचय | Chaudhary Brahm Prakash Yadav ka jeevan parichay | चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव  अन्यनाम: शेर-ए-दिल्ली जन्म: 16 जून, 1918 ई. स्थान: नैरोबी, केन्या  मृत्यु: 11 अगस्त 1993 ई. स्थान: दिल्ली, भारत शिक्षा: रामजस कॉलेज दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूर्व पद: भारत के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री 👉वह 17 मार्च 1952 से 12 फ़रवरी, 1955 तक दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री रहे। 👉 इन्हें "शेर-ए-दिल्ली" और "मुगल-ए-आज़म" भी कहा जाता है। 👉वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल भी गए। चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव का जीवन परिचय |  स्वतंत्रता सेनानी तथा दिल्ली के प्रथम  मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव का जन्म 16 जून 1918 को नैरोबी शहर में केन्या देश में हुआ था। और मृत्यु 11 अगस्त 1993 में दिल्ली में हुई।  चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री थ...

चित्तू पांडेय का जीवन परिचय | Chittu Pandey ka jeevan parichay | चित्तू पांडेय की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चित्तू पांडेय का जीवन परिचय | Chittu Pandey ka jeevan parichay | चित्तू पांडेय की लघु जीवनी हिंदी में |  नाम: चित्तू पांडेय जन्म: 10 मई 1865 ई. मृत्यु: 6 दिसम्बर 1946 ई. स्थान: बलिया, उत्तर प्रदेश  पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, चित्तू पांडेय का जीवन परिचय | चित्तू पाण्डे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे। चित्तू पांडेय को प्यार से शेर-ए-बलिया यानि बलिया का शेर कहते हैं। चित्तू पाण्डे का जन्म 10 मई 1865 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रत्तूचक गाँव में हुआ था। उन्होने 1942 में बलिया में भारत छोड़ो आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चित्तू पांडेय ने 1942 के ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में स्थानीय लोगों की फौज बना कर अंग्रेजों को खदेड दिया था। 19 अगस्त,1942 को एक 'राष्ट्रीय सरकार' की घोषणा करके वे उसके अध्यक्ष बने जो कुछ दिन तक बलिया में चित्तू पांडेय का शासन भी चला। बाद में अंग्रेजों द्वारा दबा दी गई। यह सरकार बलिया के कलेक्टर को सत्ता त्यागने एवं सभी गिरफ्तार  कांग्रेसियों को रिहा कराने में सफल हुई थी। वे अपने आप को...

चित्तरंजन दास का जीवन परिचय | Chittaranjan Das ka jeevan parichay | देशबन्धु चित्तरंजन दास की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चित्तरंजन दास का जीवन परिचय | Chittaranjan Das ka jeevan parichay | देशबन्धु चित्तरंजन दास की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: चित्तरंजन दास उपनाम: देशबन्धु  जन्म: 5 नवम्बर 1870 ई. स्थान: कोलकाता, ब्रिटिश भारत मृत्यु: 16 जून 1925 ई. स्थान: दार्जिलिंग, ब्रिटिश भारत पिता: भुबनमोहन दास माता: निस्तारिणी देवी पत्नी: बसन्ती देवी पदवी: देशबन्धु पेशा: वकील, कवि, पत्रकार, राजनीतिज्ञ आंदोलन: असहयोग आंदोलन स्थापित संगठन: स्वराज पार्टी पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, स्वराज पार्टी, पद: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष प्रसिद्धि: राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध विधि-शास्त्री 👉चित्तरंजन दास 'अलीपुर षड़यंत्र काण्ड' 1908 के अभियुक्त अरविन्द घोष के बचाव के लिए बचाव पक्ष के वकील थे। चित्तरंजन दास का जीवन परिचय।  देशबन्धु चित्तरंजन दास सुप्रसिद्ध भारतीय नेता, राजनीतिज्ञ, वकील, कवि, पत्रकार तथा भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के युगांतकारी थे। ये महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध विधि-शास्त्री थे। उन्होंने कई बड़े स्वतंत्रता सेनानियों के मुकद्दमे भी लड़े। उनको सम्मान पूर्वक ‘द...

दामोदर हरी चापेकर का जीवन परिचय | damodar hari chapekar ka jeevan parichay | चापेकर बन्धु की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
दामोदर हरी चापेकर का जीवन परिचय | damodar hari chapekar ka jeevan parichay | चापेकर बन्धु की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: दामोदर हरी चापेकर उपनाम: चापेकर बन्धु जन्म: 25 जून 1869 ई. स्थान: पुणे, महाराष्ट्र मृत्यु: 18 अप्रॅल 1898 ई. पिता: हरिपंत चापेकर माता: लक्ष्मीबाई भाई: बालकृष्ण चापेकर, वासुदेव चापेकर प्रसिद्धि: स्वतंत्रता सेनानी 👉दामोदर हरि चाफेकर ने 22 जून 1897 को रैंड को और उसके सहायक लेफ्टिनेंट आयस्टर को गोली मारकर हत्या कर दी।  दामोदर हरी चापेकर का जीवन परिचय।  दामोदर हरी चापेकर या चापेकर बन्धु का नाम भारत के क्रांतिकारी शहीदों में अमर है। दामोदर हरी चापेकर और उनके दोनों भाई बालकृष्ण चापेकर तथा वासुदेव चापेकर भी भारतीय इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ गये हैं। ये तीनों भाई बाल गंगाधर तिलक से प्रभावित थे। और तीनों भाइयों को संयुक्त रूप से 'चापेकर बन्धु' नाम से प्रसिद्ध थे। चाफेकर बंधु महाराष्ट्र के पुणे के पास चिंचवड़ नामक गाँव के निवासी थे। दामोदर पंत चाफेकर का जन्म 25 जून 1869 को...

चन्दन हजुरी का जीवन परिचय | Chandan Hajuri ka jeevan parichay | चाखि खुण्टिआ की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चन्दन हजुरी का जीवन परिचय | Chandan Hajuri ka jeevan parichay | चाखि खुण्टिआ की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: चन्दन हजुरी उपनाम: चाखि खुण्टिआ  जन्म: 7 जनवरी 1827 ई. मृत्यु: 1870 ई. पिता: रघुनाथ खुण्टिआ माता: कमलावती  चन्दन हजुरी का जीवन परिचय।  चन्दन हजुरी या चाखि खुण्टिआ पुरी के जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तथा कवि थे। जिन्होने 1857 के भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। उनका जन्म जगन्नाथ पुरी में ही हुआ था। उनका शारीरिक बल असाधारण था। चंदन हजूरी का जन्म 1827 में सांबा दशमी के शुभ दिन पर हुआ था। जो 7 जनवरी 1827 को ओडिशा के पुरी में एक उत्कल ब्राह्मण परिवार में पिता रघुनाथ खुण्टिआ उर्फ़ भीमसेन हजूरी और माता कमलावती के घर हुआ था। 12 साल की उम्र में उनका विवाह सुंदरमणि से हुआ था। छोटी उम्र में उन्होंने ओडिया, संस्कृत और हिंदी साहित्य का अध्ययन किया। जिससे वह जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कर्तव्यों का कुशलता से पालन कर सके। उन्होंने अखाड़ों में पारंपरिक कुश्ती भी सीखी और बाद मे...

चन्द्र सिंह गढ़वाली का जीवन परिचय | Chandra Singh Garhwali ka jeevan parichay | चन्द्र सिंह गढ़वाली की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चन्द्र सिंह गढ़वाली का जीवन परिचय | Chandra Singh Garhwali ka jeevan parichay | चन्द्र सिंह गढ़वाली की लघु जीवनी हिंदी में |   नाम: चंद्र सिंह भंडारी उपनाम: चन्द्र सिंह गढ़वाली जन्म: 25 दिसम्बर 1891ई. मृत्यु: 1 अक्टूबर 1979 ई. स्थान: गढ़वाल, उत्तराखंड पिता: जलौथ सिंह भंडारी पत्नी: श्रीमती भागीरथी देवी पद: हवलदार मेजर बटालियन: 2/36 राइफल्स गढ़वाल प्रसिद्ध: पेशावर कांड के नायक के रूप में याद किया जाता है। 👉23 अप्रैल 1930 के पेशावर कांड के नायक। 👉पेशावर कांड के समय चन्द्रसिंह 2/18 गढ़वाल राइफिल्स में हवलदार थे। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जीवन परिचय | चन्द्र सिंह गढ़वाली एक भारतीय सैनिक थे। भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के नायक के रूप में याद किया जाता है। इनका जन्म 25 दिसंबर 1891 को हुआ था। और 1 अक्टूबर 1979 को उनकी मृत्यु हो गई। चन्द्रसिंह के पूर्वज गढ़वाल की राजधानी चांदपुरगढ़ के थे। चन्द्र सिंह के पिता का नाम जलौथ सिंह भंडारी था। और वह एक अनपढ़ किसान थे। चन्द्र सिंह ने अपनी मेहनत से ही पढ़ना लिखना सीख लिया था। उन्हें भारतीय इतिहास में  स्वतंत्रता के ...

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय | Chakravarti Rajagopalachari ka jeevan parichay | सी. राजगोपालाचारी की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जीवन परिचय | Chakravarti Rajagopalachari ka jeevan parichay | सी. राजगोपालाचारी की लघु जीवनी हिंदी में | उपनाम: सी. राजगोपालाचारी, सी.आर, राजाजी नाम: चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जन्म: 10 दिसम्बर 1878 ई. स्थान: थोरापल्ली, भारत  मृत्यु: 25 दिसम्बर 1972 ई. स्थान: मद्रास, भारत पिता: नलिन चक्रवर्ती पत्नी: अलामेलु मंगम्मा शिक्षा: बी.ए, वकालत विद्यालय: बैंगलोर विश्वविद्यालय, प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास भाषा: हिन्दी, तमिल और अंग्रेज़ी पुरस्कार : भारत रत्न पेशा: वकील, लेखक, राजनेता, स्वतन्त्रता सेनानी पार्टी: स्वतंत्र पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस  पद: भूतपूर्व उद्योग मंत्री, मद्रास के  मुख्यमंत्री, बंगाल के राज्यपाल, गवर्नर जनरल प्रसिद्धि: स्वतन्त्रता सेनानी, क्रान्तिकारी, पत्रकार, समाजसुधारक, शिक्षा विशेषज्ञ 👉मद्रास के मुख्यमंत्री 14 जुलाई 1937 से 9 अक्टूबर 1939 तक और 10 अप्रैल 1952 से 13 अप्रैल 1954 तक। 👉भारत गणराज्य के गृह मंत्री 26 दिसम्बर 1950 से 25 अक्तूबर 1951 तक...

घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय | | Ghanshyam Das Birla ka jeevan parichay | घनश्यामदास बिड़ला की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
  घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय | | Ghanshyam Das Birla ka jeevan parichay | घनश्यामदास बिड़ला की लघु जीवनी हिंदी में |  नाम: घनश्यामदास बिड़ला उपनाम: जी.डी. बिड़ला जन्म: 10 अप्रैल 1894 ई. स्थान: पिलानी, राजस्थान, भारत मृत्यु: 11 जून 1983 ई. स्थान: मुंबई, महाराष्ट्र पिता: बलदेव दास बिड़ला माता: योगेश्वरी देवी पत्नी: दुर्गा देवी, महादेवी बिड़ला स्थापित संगठन: बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस,  पेशा: उद्योगपति, स्वतंत्रता सेनानी प्रसिद्ध: उद्योगपति पुरस्कार: पद्म विभूषण 1957 रचनाएं: रूपये की कहानी, बापू, जमनालाल बजाज, इन द शेडो ऑफ़ द महात्मा, आदि। 👉1927 में "इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्री" की स्थापना की। 👉1932 में हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष बने। घनश्यामदास बिड़ला का जीवन परिचय |   घनश्याम दास बिड़ला एक सच्चे स्वदेशी और स्वतंत्रता आंदोलन के कट्टर समर्थक थे। घनश्याम दास बिड़ला का जन्म 10 अप्रैल 1894 को झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे में, राजपुताना के नाम से प्रसिद्ध क्षेत्र में , मारवाड़ी माहेश्वरी...

घनश्‍याम सिंह गुप्‍त का जीवन परिचय | Ghanshyam Singh Gupta ka jeevan parichay | घनश्‍याम सिंह गुप्‍त की लघु जीवनी हिंदी में |

चित्र
घनश्‍याम सिंह गुप्‍त का जीवन परिचय | Ghanshyam Singh Gupta ka jeevan parichay | घनश्‍याम सिंह गुप्‍त की लघु जीवनी हिंदी में | नाम: घनश्‍याम सिंह गुप्‍त जन्‍म: 22 दिसंबर 1885 ई मृत्यु: 13 जून 1976 ई. स्थान: दुर्ग छत्‍तीसगढ़ पिता: श्री गैंदसिंह, माता: श्रीमती भानुमति शिक्षा: बी.एससी, वकालत विद्यालय: इलाहाबाद विश्वविद्यालय  पेशा: स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता घनश्‍याम सिंह गुप्‍त का जीवन परिचय।   घनश्याम सिंह गुप्त का जन्म 22 दिसंबर, 1885 को दुर्ग में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री गैंदसिंह एवं माता का नाम श्रीमती भानुमति था। इनकी शिक्षा जबलपुर के राबर्टसन कॉलेज से बी.एससी गोल्ड मेडल के साथ 1906 में, की और सन् 1908 मेंरायपुर जबलपुर एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की।  घनश्‍याम सिंह गुप्‍त को देश प्रमुख नेता मदनमोहन मालवीय जी के संपर्क में आए। जिससे आपको देश की राजनीति के प्रति रुचि जागृत हुई तथा बंगाल विभाजन के विरोध में महाविद्यालय में हड़ताल कराई थी। घनश्‍याम सिंह गुप्‍त वरिष्ठ कांग्रेसी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, 1915 में मध्य प्रांत एवं बरार के प्रांतीय परिषद के ...